Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 13
Author(s): Gaurishankar Hirashankar Oza
Publisher: Nagri Pracharini Sabha
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नागरीप्रचारिणी पत्रिका भनै कवि 'मान' तेजपुंज मुंज मेखला को
कोपीन तर्ज बर्ज ब्रह्मचर्य उतकट को । अरि-दल-मेटन को सुजस-समेटन को ___बंधी लखि फेट रहै निर्भय निपट को। लपटो निपट जामें पुरट को पीत पट, बंदी कटि बिकट प्रकट मरकट को॥४०॥
लंगर सूलधर-सूल कै ससूल समतूल द्रोन
सूल-उनमूल मूल मंगल अनंत को । मेरु-सम थूल बल-बिक्रम अतूल, परै
लंकपुर हूल फूल-फल कर संत को । सिया दुख भूल मुख रावन के धूल रिपु
रूल रोष भूल जै कबूल भगवंत को । खल-प्रतिकूल हरिभक्त अनुकूल बंदी
सिंधुकूल फूलन लंगूर हनुमंत को॥४१॥ राखै निज कुक्षि ब्यापि ब्रह्म लौ अतुक्ष कपि
रिक्ष-दल सुत जो है कुक्ष कुलवंत को। सुखद बुभुक्ष हेतु उक्ष तर भुक्ष केतु
कंटक मुमुक्ष नाम दुक्ष रज पंत को ॥ भने कबि 'मान' महा गरभ को गुत पेखि
पंचसत दुक्ष पूज्यो गुक्ष बलवंत को । उक्षपति उक्ष लौं रिपुक्षय को रुक्ष
घमसान मुख मुक्ष बंद पुक्ष हनुमंत को॥४२॥ खल-दल-खंडन बिजै को धुज-दंड, कै
कराल कालदंड कालनेमि के निपात को। लंक-दाह-देन धूमकेतु को निकेतु, कै
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