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नागरीप्रचारिणी पत्रिका
आपका मत है कि सिंधु देश के कुछ देवताओं की पूजा दक्षिण भारत में बहुत प्रचलित थी । आपने नाना देशों और कालों के अक्षरों की समानता की जाँच इस लेख में बड़ी योग्यता से की है। इसके सिवा ठप्पे से अंकित पुरानी मुद्राओं (punch marked coins) को पढ़ने का प्रयत्न आपने किया है । इन मुद्राओं का विषय निराला है। उनके लेखों और संकेतों को अभी तक किसी ने नहीं समझ पाया है। ऐसी मुद्राएँ बहुत मिली हैं। उनके पढ़ लेने से भारतवर्ष के पुराने इतिहास पर बहुत प्रकाश पड़ेगा, क्योंकि वे मुद्राएँ तीसरी या दूसरी शताब्दि ई० पू० के पूर्व ही प्रचलित थीं। सिंधु नदी की तरैटी के पूर्व लोगों की भाषा एकाक्षरी विशेष मालूम पड़ती है । इन मुहरों के पढ़ने के विषय में अभी अंतिम निश्चय नहीं हुआ है ।
पंड्या बैजनाथ
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