Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 13
Author(s): Gaurishankar Hirashankar Oza
Publisher: Nagri Pracharini Sabha

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Page 40
________________ नागरीप्रचारिणी पत्रिका रैन बिहानी कौशल्या घर गुरु के कहे सौ क्रिया करी। राज देन लागे सब मिल तब हाय राम कहि आँख भरी ॥२८॥ कहत भरत सब सुने मंत्रि गुरु राम ले पावन अहद करो। जो नहिं माने कहा कधी तो बैठ साम्हने से न टरों ॥३०॥ राम लैन को चले सबन मिल नर-नारी सभ ही निकसी* | शृंगबेर में जाय पड़े तब गुह बोले अपने जन सों ॥३१॥ मिले भरत गुह कुशल पूछ कहि क्यों रघुबर से लड़न चले । दास मुए बिन पास न पहुँचो सुनत भरत दृग नीर ढले ॥३२॥ कहत भरत गुह बचन-बान से मत बेधे-हिय बेध करो। राम लेन कों जात जातिसँग चलो नाव पर तुम उतरो ॥३॥ सुनत बचन गुह नाव बोलाई किया गुजारा लश्कर का। भरद्वाज सो जाफत लेकर मिला ठेकाना रघुबर का ॥३४॥ लश्कर छोड़ा पावन जोड़ा संग लिए शत्रूघन को। धुंआ देखकर हुए खुशाली इहाँ राम आए बन को ॥३५॥ वही समे सियपाते बन बिहरत काग आँख पर तीर लगा। लश्कर देख डरे लछमन प्रभु भरत प्राय मत करत दगा ॥३६॥ मत लछमन यह बात बिचारो मुकर राज देगा मुझको । तुम चाहो तो तुम्हें दिखाऊँ भरत नहीं दुशमन तुमको ॥३७॥ पहुँचे भरत राम कों देखे दौड़ गिरे नहि पहुँच सके। लिए उठाय गोद बैठाए लगी टकटकी रूप छके ॥३८॥ पिता-मरन सुन अति दुख पाए नदी नहाय आय बैठे। भरत कहत कर जोड़ गोड़ गिर तोन भ्रात सें प्रभु जेठे ॥३॥ * नरनारी चिकसे घर से। कुड़े। ३०-अहद-प्रण, प्रतिज्ञा । ३४-गुजारा = उतार । जाफत =(अ0 जियाफत) जेवनार, भोज । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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