Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 13
Author(s): Gaurishankar Hirashankar Oza
Publisher: Nagri Pracharini Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 89
________________ खुमान और उनका हनुमत शिखनख दावानल दीसनि कै रीसन मुनीसन को मीसनि भरी की दंत पोसनि खबीस की । काली कालकूट की कला है काल-कोप की कै कुनजरि क्रुद्ध कौसलेस के कपीस की ॥ १४॥ नासिका श्रज उद्भासिका सुभासिका की रासिका, कै अक्ष-प्रान-प्यासिका विलासिका बलनि की । पौन उनचासिका की जरा अनुसासिका, कै तमीचर- त्रासिका है लासिका दलन की ॥ भनै कबि 'मान' राम - स्वासिका-उपासिका, कै रि लै बासिका उसासिका चलन की । मुनि-मन - कासिका प्रकासिका बिजै की, धन्य पौन-पूत-नासिका बिनासिका खलन की ॥ १५॥ कपाल कैयो ब्रह्मसक्ति निज सक्ति गिलि मेलि जिन, केली सत कोटि चोट कोटि जे सुमार के । निज को निवाल बालभानु- चक्रवाल कालनेमि के कराल काल तेज के तुमार के ॥ भने afa 'मान' कीन्हो ब्रह्म अस्त्र ग्रास जे वे, त्रास के घमंड देन खलनि खुमार के । मेलत अडोल जामें अरिन के गोल जे वे, बिपुल कपोल बंदी केसरी कुमार के ॥ १६ ॥ पंचमुख प्राची कपि-बदन अरीन को कदन - नरसिंघा तन दक्षिन सु भूत-प्रेत- अंत को । ४५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ४७५ www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118