Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 13
Author(s): Gaurishankar Hirashankar Oza
Publisher: Nagri Pracharini Sabha
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नागरीप्रचारिणी पत्रिका जे कटकटंत लखि निसचर गिरंत भूत
भैरव डरंत भट भागत भिरंत के ॥ 'मान' कबि मंत्र जपवंत मै ढरंत संत
अंतक हरंत जे करंत अरि अंत के। बज्र ते दुरंत दुतिवंत दरसंत ज्वाल
वंत ते ज्वलंत बंदी दंत हनुमंत के॥२३॥
दाढ़ी रुद्ररस रेलै रन खेलै मुख मेले मारि
असुरनि नासै जे उबारै सुर गाढ़ ते। चपल निसाचर-चमूनि चकचूरै महि
पूरै लंक भाजत जरूरै जाढ़ पाढ़ वे॥ जननि को ढाढ़े सोक-सागर ते काढ़े सान
साढ़े गुन बादै बल बाड़े बज्र बाढ़ ते । परे प्रान पाढ़े दलि दुष्टन को दाढ़े धन्य
पौनपूत-दाढ़े उतै काढ़े जमदाढ़ ते॥२४॥
सिया-सोक गंजि मन रंजि फल जासों मंजु
स्वाद भंजि बाटिका त्रिकुट पुरहुत की। जहाँ बानी बास जानै जानकी बिलास
महानाटक प्रकास कथ प्रभु की प्रभूत की । भने कवि 'मान' गान विद्या में सुजान बेद
प्रागम पुरान इतिहास के प्रकट की। असना निहारी नपै राम-जस नेम बिषै
बसना सुरसना प्रभंजन के पूत की ॥ २५ ॥
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