Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 13
Author(s): Gaurishankar Hirashankar Oza
Publisher: Nagri Pracharini Sabha

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Page 84
________________ ४७० नागरीप्रचारिणो पत्रिका संबत सर भुज अंक ससि सुदि असाढ़ की तीज । लिखि ठाकुर कबि पाठ निज मन में करि तजबीज ॥ अब हम पाठकों के अवलोकनार्थ हनुमत शिखनख का संपूर्ण पाठ नीचे दे रहे हैं। इसमें हनुमानजी के प्रत्येक अंग पर रचना की गई है। यद्यपि इसकी रचना लक्ष्मण शतक के समान उत्कृष्ट नहीं बन पाई है, फिर भी बुरी नहीं है। हनुमत शिखनख हनुमत्माहात्म्य दरस महेस को गनेस को अलभ सभा, सुलभ सुरेस को न पेस है धनेस को। पूजि द्वारपालनि बचाव प्रजापाल दिग पाल लोकपाल पावै महल प्रबेस को ? बेर बेर कौन दीन अरज सुनावै तहाँ, याते बिनैवान हैं। नरेस अवधेस को। 'मान' कबि सेस के कलेस काटिबे को होई हुकुम हठीले हनुमंत पै हमेस को ॥१॥ मंडन उमंडि तन मंडि खल खंडन को, दौर दंड दाहिनो उठाए मरदान हैं। चोटी चंडिका की बाम चुटकी चपेटि कै, महिरावनै दपेटि कटि दाबे बलवान हैं ।। भनै कबि 'मान' लसै बिकट लंगूर दीह, दाहिने चरन चापे नातक महान हैं। साँकिनी दरन हनै डाँकिनी डरनि हंकि, हाँकिनी हरन काकिनी के हनुमान हैं॥२॥ * काकिनी गाँव चरखारी राज्य में है। उसी काकिनी के हनुमानजी की उपासना खुमान कवि करते थे और यह शिखनख उन्हीं हनुमानजी का है। ले। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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