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खुमान और उनका हनुमत शिखनख ४७१ महाकाय, महाबल, महाबाहु, महानख,
महानाद, महामुख, महा मजबूत हैं। भने कबि 'मान' महाबीर हनुमान महा,
देवन के देव महाराज रामदूत हैं। पैठिके पताल कीन्ही प्रभु की सहाइ,
महिरावनै ढहाइबे को औढर सपूत हैं। डाकिनी के काल साकिनी के जीवहारी सदा, __ काकिनी के गिरि पै बिराजै पौन-पूत हैं॥३॥
शिखा शूल जनु कासी हरिचक्र मथुरा सी राम
तारक-विभा सी कोट भानु की प्रभा सी है। ओज-उदभासी ओछि अंजनी प्रकासी राज
राजै अमृतासी पति पूजी जम-पासी है। वेज-बल-रासी कबि 'मान' ही हुलासी जन
पोखन सुधा सी काम-वर्षन मघां सी है। भाल ज्यों विषासी दृग-ज्वाल अति खासी, हनुमंत की शिखासी प्रलै-पावक-शिखा सी है ॥४॥
केश हाटक-मुकुट दिपै दीपति प्रगट कोटि,
भानु के प्रमानु जे विभानु धरिबो करें । सगर-अराति भरिराति तिन्हैं ताकि,
तरराते तेज तीखन भँडार भरिबो करें । भनै कबि 'मान' जे सराहे हृषीकेस तिन्हैं, ... ध्याय अलकेस ब्योमकेस लरिबो करें । बंदी केस केसरी-कुमार के सुबेस जे,
हमेस गुड़ाकेस के कलेस हरिबो करें ॥५॥
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