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(१५) खुमान और उनका हनुमत शिखनख [ लेखक - श्री अखौरी गंगाप्रसादसिंह, काशी]
चरखारी के राजा विजय विक्रमजीत सिंह बहादुर स्वयं एक अच्छे कवि थे और कवियों का आदर-मान भी यथेष्ट करते थे । उनके दरबार के प्रसिद्ध कवियों में खुमान या मान, प्रतापशाह, भोज, सबसुख और प्रयागदास के नाम विशेष उल्लेख योग्य हैं। खुमान या मान का आसन इन कवियों में सर्वोच्च था। डाक्टर ग्रियर्सन ने खुमान और 'मान' को दो कवि लिखा है पर वास्तव में ये दोनों नाम एक ही व्यक्ति के हैं । खुमान का जन्म छतरपुर के निकट खरगाँव नामक ग्राम में हुआ था । शिवसिंहसरोजकार के मतानुसार उनका जन्म संवत् १८४० है । परंतु संवत् १८३६ के लिखे हुए उनके अमरप्रकाश नामक ग्रंथ के मिल जाने से यह सर्वथा अशुद्ध प्रमाणित हो चुका है । यदि संवत् १८३० माना जाय तो उनका जन्म संवत् १८०० के लगभग मानना बहुत अनुचित न होगा। मिश्रबंधु - विनोद में खुमान का कविता - काल १८७० माना गया है और साथ ही यह भी लिखा गया है कि "खाज १६०५ में अमरप्रकाश का रचना - काल संवत् १८३६ लिखा है ।" मालूम नहीं, इन विरोधी बातों को विनोद में
खुमान का कविता - काल
Dr. Grierson erroneously takes Khuman and Mana to be two different persons whereas in reality they were one and the same.
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(1906-1908.)
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