Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 13
Author(s): Gaurishankar Hirashankar Oza
Publisher: Nagri Pracharini Sabha

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Page 70
________________ ४५६ नागरीप्रचारिणी पत्रिका लछमन कमानसोंबान है झरता।बानों पर बानों को सरता ॥ इंद्र का दीना बान कर में धरता । रघुबरका कसम सत करता॥ चटाक मारा सिर भुट्टाक सा गिरता ॥४॥ इंद्रजीत मरा इंद्र के अस्त्रों सों। सब देव ऋषी देख हरष पुहुप बरखे स्तोत्र सों॥ लछमन की जै कहे सिधारे । रघुबर के पर पाय निहारे ॥ तब गोद बैठाय बखान पुचकारे । सुषेण ने घाव सँभारे ॥ तय्यार ठाढ़े बंदर मोर्चे मारे ॥६॥ मेघनाद मरा सुन रावन ने रोय दिया। दाँतों सों ओठ काटे सिया मारन को तेग लिया। दौड़ा देख जानकी डरती । रघुबर की फिकर को करती ।। समुझाय सुपार्श्व ने बुद्धि फेर दी । सभा बैठे छाती जरती ॥ बिल्कुल भेजी फौज हल्ले करती ॥६६॥ रघुबर को प्राय घेरे मकड़ी में लिए छाय । गंधर्ब अस्त्र मारा आपुस मों दिना कटाय ॥ टिड्डि तोड़ राम लखाने । अंत्री खुमे से देव हरखाने । निशिचर कों निशिचर सभी राम देखाने। स्वजन से अस्ख बखाने । इस बल को हम औ शंकर माने ॥६॥ घर घर में पड़ा रोना रावन श्रवण . सुना। महाकाल सा क्रोध कर कहा लड़ना बना अपना । मोछों पर ताव दे बोला । डर को तीनों लोक भी डोला ॥ बड़ाई अपनी कहता बावल भोला । जिसको दे उसी का मौला ॥ राम मारों कह कमान को तोला ॥८॥ प्रथम पाँव धरते सनमुख से हुई छींक । अपसगुन मरने को कहने लगे नजदीक ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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