Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 13
Author(s): Gaurishankar Hirashankar Oza
Publisher: Nagri Pracharini Sabha

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Page 18
________________ ४०४ नागरीप्रचारिणी पत्रिका पूर्वी प्रांत रत्नसिंह के समय चौहानों के अधिकार में था। जायसी पद्मिनी के पिता को चौहानवंशीय गंध्रवसेन लिखता है, यदि यह ठीक हो तो वह मेवाड़ के पूर्वी भाग सिंगोली का स्वामी हो सकता है। सिंगोली और सिंहल के नामों में विशेष अंतर न होने से संभव है कि जायसी और जटमल ने सिंगोली को सिंहलद्वीप (लंका) मान लिया हो। सिंहल अर्थात् लंका पर कभी चौहानों का राज्य नहीं हुआ, इसके अतिरिक्त रत्नसिंह के समय वहाँ का राजा गंध्रवसेन भी नहीं था। उस समय लंका में राजा कीर्तिनिश्शंक देव (चौथा ) या भुवनैकबाहु ( तीसरा ) होना चाहिए। नागरी-प्रचारिणी सभा की हिंदी पुस्तकों की खोज संबंधी सन् १६०१ ईसवी की रिपोर्ट के पृ० ४५ में संख्या ४८ पर बंगाल एशियाटिक सोसाइटी में जो जटमल रचित 'गोरा बादल की कथा' है उसके विषय में लिखा है कि यह गद्य और पद्य में है; किंतु स्वामी नरोत्तमदासजी द्वारा जो प्रति अवलोकन में आई वह पद्यमय है। इन दोनों प्रतियों का आशय एक होने पर भी रचना भिन्न भिन्न प्रकार से हुई है। रचना-काल भी दोनों पुस्तकों का एक है और कर्ता भी दोनों का एक ही है। संभव है, जटमल ने कथा को रोचक बनाने के लिये ही बंगाल एशियाटिक सोसाइटीवाली प्रति में गद्य का प्रयोग किया हो। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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