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कवि जटमल रचित गोरा बादल की बात ४०३ स० १२७३ ) कार्तिक सुदी १ का है और अंतिम वि० सं० १३५८ ( ई० स० १३०२) माघ सुदी १० का है, जिससे यह तो स्पष्ट है कि वि० सं० १३५८ के माघ सुदी १० तक मेवाड़ का राजा समरसिंह ही था। उसके पुत्र रत्नसिंह का केवल एक ही शिलालेख दरीबा नामक गाँव के देवी के मंदिर में मिला है जो विक्रमी सं० १३५६ ( ई० स० १३०३) माघ सुदी ५ बुधवार का है। इन लेखों से प्रकट है कि वि० सं० १३५८ के माघ सुदी ११ और वि० सं० १३५६ के माघ सुदी ५ के बीच किसी समय रत्नसिंह मेवाड़ का स्वामी हुआ। फारसी इतिहास लेखक मलिक खुसरो, जो चित्तौड़ की चढ़ाई में शरीक था, लिखता है कि सोमवार ता०८ जमादिउस्सानी हि० स० ७०२ (वि० सं० १३५६ माघ सुदी = ता० २८ जनवरी ई० स० १३०३) को चित्तौड़ पर चढ़ाई करने के लिये दिल्ली से सुलतान अलाउद्दीन खिलजी ने प्रस्थान किया और सोमवार ता. ११ मुहर्रम हि० स० ७०३ (वि० सं० १३६० भाद्रपद सुदी १४ = ता० २६ अगस्त ई० स० १३०३) को चित्तौड़ का किला फतह हुआ। इस हिसाब से रत्नसिंह का राज्य समय कठिनता से लगभग १ वर्ष ही आता है। संभव नहीं कि इस थोड़ी सी अवधि में समुद्र पार लंका जैसे दूर के स्थान में वह जा सका हो। ___ काशी की नागरी-प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित 'जायसी-ग्रंथावली' (पद्मावत और अखरावट) के विद्वान् संपादक पं० रामचंद्र शुक्ल ने उक्त ग्रंथ की भूमिका में सिंहल द्वीप के विषय में लिखा है कि 'पद्मिनी सिंहल की नहीं हो सकती। यदि सिंहल नाम ठीक मानें तो वह राजपूताने या गुजरात में कोई स्थान हो' यह कथन निर्मूल नहीं है। चित्तौड़ से अनुमान २५ कोस पूर्व सिंगोली नाम का प्राचीन स्थान है, जहाँ प्राचीन खंडहर और किले आदि के चिह्न अब तक विद्यमान हैं। सिंगोली और उसका समीपवर्ती मेवाड़ का __३६
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