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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ मस्तिष्क में मन कहाँ होता है उस बारे में कोई एकमत नहीं है । एक मतानुसार प्रत्येक कोष में मन है । अन्य मतानुसार टेम्पोरल लोब, लिम्बिक सरकिट में या पिनिअल ग्रंथि में मन का प्रस्थापन किया गया है । वास्तव में तो मन का कोई एनेटोमिकल - भौतिक प्रस्थापन नहीं है । लेकिन वह एक बायोकेमिकल - जैविक - रासायणिक और इलेकट्रोमेग्नेटिक जटिल प्रक्रिया है । उसके बारे में यथायोग्य ज्ञान मनुष्य को उपलब्ध नहि हुआ है, यह तबीबी विज्ञान की एक मर्यादा है । जो बात मन के बारे में कही जाती है वह आत्मा के बारे में भी कह सकते है ।
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इसके उपरांत मस्तिष्क में thalamus और basal ganglia नामक महत्वपूर्ण कोष केन्द्र होते है जिसे एकस्ट्रापिरामिडल सिस्टम कहते है, और उसमें होनेवाले रासायनिक असंतुलन की वजह से पार्किन्सोनिझम (Parkinsonism) (कंपवा) या उसके विपरीत कोरिआ (Chorea), डिस्टोनिआ (Dystonia) जैसे रोग होते है। इसकी विस्तृत जानकारी चेप्टर ८ और ९ में दी गई है ।
उसी प्रकार हाइपोथेलेमस एक महत्वपूर्ण अंग है जो सिम्पेथेटिक (sympathetic) और पेरासिम्पेथेटिक चेतातंत्र का महत्तम अंकुश रखनेवाला स्थान है । यह तंत्र अनैच्छिक स्नायुओं और स्ट्रेस आदि भौतिक क्रियाओं के साथ जुड़ा है । हृदय की धबकार, आंख की पुतली, ब्लडप्रेशर, श्वासोच्छवास आदि अनेक अत्याधिक महत्वपूर्ण क्रियाओं का नियमन इस प्रकार की नर्वस सिस्टम करती हैं, जो स्वयंसंचालित है ।
अंतःस्रावी ग्रंथिओं का मास्टर कंट्रोल उच्चतम नियमन स्थान पिट्युटरी ग्रंथि है और वह मस्तिष्क में है । वह शरीर की तमाम होर्मोनसिस्टम का अद्भुत नियमन करती है । इसके उपरांत मस्तिष्क और चेतातंत्र में संदेश का आदान-प्रदान करने के लिए डोपामिन, नोरएड्रिनालिन, गाबा, सिरोटोनिन, एसिटाइल कोलिन, एन्डोर्फिन, एन्सेफेलिन जैसे महत्वपूर्ण न्यूरोट्रान्समीटर और उनके रिसेप्टर का अद्भुत नेटवर्क प्रस्थापित हुआ है ।
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