Book Title: Lekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Author(s): Pushpashreeji, Tarunprabhashree
Publisher: Yatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
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DAALANOR
शुभकामना
दिनांक १६/9/9ee9 ज्ञानमूर्ति श्री लेखेन्द्रशेखरविजयजी का अभिनन्दन ग्रंथ छप रहा है।
यह जानकर प्रसन्नता हुई। भारतीय संस्कृति अध्यात्मिक संस्कृति है। भारत के संतपुरुष और ऋषिमुनियों की तपस्या और अनुभूति की देन है। और उन्हीं की साधना से यह आज भी जीवित है। इसलिये संतपरुष हमारे लिये अभिनन्दनीय है। अभिवंदनीय है। संतों का अभिनंदन करनेवाला देश ही उन्नति के शिखर पर आरोहण कर सकता है। सर
संत का अभिनंदन करेगा देशा
तो और क्या रहेगा शेष॥ आप सदा सर्वदा स्वस्थ एवं परम प्रसन्न रहे चिरकाल तक साहित्य सेवा, जिन शासन की सेवा करते हुए जिन शासन में चार चांद लगाते रहें तथा अध्यात्मिक संस्कृति के सजाग प्रहरी बनकर स्वपर कल्याण करते रहें यही शुभकामना
साध्वी धर्मशीला जैन स्थानक, बोरीवली वेस्ट
बम्बई-६६. मंगल भावना जिनका व्यक्तित्व स्नेहिल। जिनका हृदय वात्सल्यता से भरपूर, जिनकी वाणी में ओज एवं मधुरता का समावेश है। उन मुनिवर्य के अभिनंदन ग्रंथ हेतु मेरी शतश: शुभकामनाएं-मंगल भावनाएं
चन्दनमल चांद (सम्पादक) जैन जगत
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१६ ध्यान की मस्ती जगत के सर्वश्रेष्ठ सुख से, सौदर्य से और मजा मौज से विशिष्ठ व अलौकिक होती है। इस मस्ती
में रमे हऐ मन को अन्य मस्ती कदपि नही रुचती। For Private & Personal Use Only
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