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जम कार परिच्छेदः 3
मुनि-महिमा 1--जिन लोगों ने इन्द्रियो के समस्त उपभोगों को त्याग दिया है और जो तापसिक जीवन व्यतीत करते हैं, धर्मशास्त्र उनकी महिमा को और सब बातों से अधिक उत्कृष्ट बताते हैं ।
2-तुम तपस्वी लोगों की महिमा को नहीं नाप सकते। यह काम उतना ही कठिन है जितना कि दिवंगत आत्माओं की गणना करना ।
3-जिन लोगों ने परलोक के साथ इहलोक की तुलना करने के पश्चात इसे त्याग दिया है, उनकी महिमा से यह पृथ्वी जगमगा रही
___4-जो पुरुष अपनी सुदृढ़ इच्छा शक्ति के द्वारा पाँचों इन्द्रियों को इस तरह वश में रखता है, जिस तरह हाथी अकुश द्वारा वशीभूत किया जाता है. वास्तव में, वही स्वर्ग के खेतों में बोने योग्य बीज है ।
5-पंचेन्द्रियों की तृष्णा जिसने शमन की है, उस तपस्वी के तप में क्या सामर्थ्य है, यदि यह देखना चाहते हो तो देवाधिदेय और इन्द्र की ओर देखो ।
6-महान् पुरुष वे ही हैं, जो अशक्य कार्यों को भी सम्भव कर लेते हैं और क्षुद्र वे हैं, जिनसे यह काम नहीं हो सकता ।
7.-जो, स्पर्श, रस, गंध, रूप और शब्द इन पाँच इन्द्रिय-विषयों का यथोचित उपभोग करता है, वह सारे संसार पर शासन करेगा ।
8-संसार भर के धर्म-ग्रन्थ, सत्यवक्ता महात्माओं की महिमा की घोषणा करते हैं ।
9-त्याग की चट्टान पर खड़े हुए महात्माओं के क्रोध को एक क्षण भी सह लेना असम्भव है ।
___ 10-साधुप्रकृति पुरुषों को ही ब्राह्मण कहना चाहिये, कारण वे ही लोग सब प्राणियों पर दया रखते हैं ।
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