Book Title: Kural Kavya
Author(s): G R Jain
Publisher: Vitrag Vani Trust Registered Tikamgadh MP

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Page 300
________________ कुरल काव्य परिच्छेदः ९e वेश्या 1 जो स्त्रियाँ प्रेम के लिए नहीं बल्कि धन के लोभ से किसी पुरुष की कामना करती हैं, उनकी मायापूर्ण मीठी बातें सुनने से दुःख ही दुःख होता है 2 - जो दुष्ट स्त्रियाँ मधुमयी वाणी बोलतीं हैं पर जिनका ध्यान अपने नफे पर रहता है, उनकी चाल-ढाल को विचार कर उनसे सदा दूर रहो । 3- वेश्या अपने प्रेमी का दर्द-आलिंगन करती है तो वह ऊपर से यह प्रदर्शन करती है कि वह उससे प्रेम करती है परन्तु मनमें तो उसे ऐसा अनुभव होता है जैसे कोई वेगारी अन्धेरे कमरे में किसी अज्ञात लाश को छूता है । 4 - जिन लोगों के मन का झुकाव पवित्र कार्यों की ओर हैं, वे असती स्त्रियों के स्पर्श से अपने शरीर को कलंकित नहीं करते। 5 - जिन लोगों की बुद्धि निर्मल है और जिनमें अगाध ज्ञान है वे उन औरतों के स्पर्श से अपने को अपवित्र नहीं करते कि जिनका सौन्दर्य और लावण्य सब लोगों के लिए खुला है। 6- जिनको अपने कल्याण की चाह है वे स्वैरिणी गणिका का हाथ नहीं छूते कि जो अपनी अपवित्र सुन्दरता को बेचती फिरती हैं। 7. जो ओछी तबियत के आदमी हैं वे ही उन स्त्रियों को खोजेंगे कि जो केवल शरीर से आलिंगन करती हैं, जबकि उनका मन दूसरी जगह रहता है। B- जिनमें सोचने समझने की बुद्धि नहीं है उनके लिए चालाक कामनियों का आलिंगन ही अप्सराओं की मोहिनी के समान है। 9- भरपूर साज - सिंगार किये और बनी उनी स्वैरिणी के कोमल बाहु नरक की अपवित्र नाली के समान हैं जिसमें घृणित भूर्ख लोग अपने को जा डुबोते हैं। 10- चंचल मन वाली स्त्री, मद्यपान और जुआ, ये उन्हीं के लिए आनन्द वर्द्धक हैं कि जिन्हें भाग्यलक्ष्मी छोड़ देती है। 293

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