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---, गुरू या
रामप्र . परिच्छेदः ४५ योग्य पुरुषों की मित्रता 1-जो लोग करते करते वृद्ध हो गये हैं उनकी तुम भक्ति कर तथा मित्रता प्राप्त करने का यत्न करो।
2--तुम जिन कठिनाइयों में फंसे हुए हो. उनकी जो लोग दूर कर सकते हैं और आने वाली बुराइयों से जो तुम्हें बचा सकते हैं उत्साहपूर्वक उनके साथ मित्रता करने की चेष्टा करो।
3-यदि किसी को योग्य पुरुषो की प्रीति और भक्ति मिल जाय तो यह महान से महान सौभाग्य की बात है।
4--जो लोग तुम से अधिक योग्यता वाले हैं, वे यदि तुम्हारे मित्र ब। गये हैं तो तुमने ऐसी शक्ति प्राप्त कर ली है जिसके सामने अन्य सब शक्तियाँ तुच्छ है।
___-मंत्री ही राजा की आँखें हैं. इसलिए उनके चुनने में बहुत ही समझदारी और चतुराई से काम लेना चाहिए।
6-जो लोग सुयोग्य पुरुषों के साथ मित्रता का व्यवहार रख सकते हैं, उनके वैरी सनका कुछ बिगाड़ न सकेंगे ।
7...जिस आदमी को ऐसे लोगो की मित्रता की गौरव प्राप्त है ! कि जो उसे डाट.. फटकर सकते हैं उसे हानि पहँचाने वाला कौन है?
8--जो राजा ऐसे पुरुषों की सहायला पर निर्भर नहीं रहता कि जो रामय पर उसको झिड़क सकें. शत्रुओं के न रहने पर भी उसका नाश होना अवश्यम्भावी है।
9- जिनके पास मूल धन नहीं है, उनको लाभ नहीं मिल सकता, ठीक इसी तरह प्रामाणिकता उन लोगों के भाग्य में नहीं होती। कि जो बुद्धिमानों की अविचल सहायता पर निर्भर नहीं रहते।
10-बहुत से लोगों को शत्रु बना लेना मुरवता है कना सजन परुषां की मंडता को होना उससे भी कही आप बन .:
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