________________
ज, कुक्ल काश्य यूर___ परिच्छेदः ५५
विश्वस्त पुरुषों की परीक्षा 1-धर्म, अर्थ, काम और प्राणों का भय, ये चार कसौटियाँ हैं जिन पर कस कर मनुष्य को चुनना चाहिए।
2-जो अच्छे कुल में उत्पन्न हुआ है, दोषों से रहित है और अपयश से डरता है वहीं तुम्हारे लिए योग्य मनुष्य है।
___3-जब तुम परीक्षा करोगे तो देखोगे कि अत्यन्त ज्ञानवान और शुद्ध--मन वाले लोग भी हर प्रकार के अज्ञान से सर्वथा अलिप्त न निकलेंगे।
4-मनुष्य की भलाइयों को देखो और फिर उसकी बुराईयों पर दृष्टि डालो। इनमें जो अधिक हैं, बस समझ लो वैसा ही उसका स्वभाव है।
5- क्या तुम जानना चाहते हो कि अमुक मनुष्य उदारचित्त है या सुद हृदय ? स्मरण रक्खो कि आचार-व्यवहार चरित्र की कसौटी है।
6-सावधान ! उन लोगों का विश्वास देखभाल कर करना कि जिनके आगे पीछे कोई नहीं है. क्योंकि उन लोगों का हृदय ममताहीन और लज्जारहित होता है।
-यदि तुम किसी मूर्ख को अपना विश्वास पात्र सलाहकार बनाना चाहते हो, केवल इसलिए कि तुम उसे प्यार करते हो. तो सोच रक्खो कि वह तुम्हें अनन्त मूर्खताओं में ला पटकेगा।
8-जो आदमी परीक्षा लिए बिना ही दूसरे मनुष्य का विश्वास करता है, वह अपनी संतति के लिए अनेक आपत्तियों का बीज बो रहा है।
g-परीक्षा किये बिना किसी का विश्वास न करो और अपने आदमियों की परीक्षा लेने के अनन्तर हर एक को उसके योग्य काम दो।
10-अनजाने मनुष्य पर विश्वास करना और जाने हुए योग्य पुरुष पर सन्देह करना, ये दोनों ही बातें एक समान अगणित आपत्तियों की जननी हैं।
-..
211