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बहुरख व्हा
परिच्छेदः 30
कामना का दमन
1- कामना एक बीज है जो प्रत्येक आत्मा को सर्वदा ही अनवरत कभी न चूकने वाली जन्म मरण की फसल प्रदान करता है । 2- यदि तुम्हें किसी बात की कामना करनी ही है तो पुनर्जन्म के चक्र से छुटकारा पाने की कामना करो और वह छुटकारा तभी मिलेगा जब तुम कामना को जीतने की इच्छा करोगे ।
3. निष्कामवृत्ति से बढ़कर इस जगत में दूसरी और कोई सम्पत्ति नहीं है और तुम स्वर्ग में भी जाओ तो तुम्हें ऐसी अमूल्य निधि न मिलेगी जो इसकी तुलना करे
4- कामना से मुक्त होने के सिवाय पवित्रता और कुछ नहीं है और यह मुक्ति पूर्णसत्य (शुद्ध आत्मा) की इच्छा करने से ही मिलती है।
5- यही लोग मुक्त हैं जिन्होंने अपनी इच्छाओं को जीत लिया है, बाकी लोग देखने में स्वतंत्र मालूम पड़ते हैं, पर वास्तव में वे कर्मबन्धन से जकड़े हुए हैं ।
6--यदि तुम भद्रता को चाहते हो तो कामना से दूर रहो, क्योंकि कामना एक जाल और निराशा मात्र है ।
7- यदि कोई मनुष्य अपनी समस्त वासनाओं को सर्वथा त्याग दे तो जिस मार्ग से आने की वह आज्ञा देता है मुक्ति उसी मार्ग से आकर उससे मिलती है ।
8- जो किसी बात की लालसा नहीं रखता, उसको कोई दुःख नहीं होता, पर जो वस्तुओं के लिए मारा मारा फिरता है उस पर आपत्तियों के ऊपर आपत्तियाँ आती हैं ।
9- यहाँ भी मनुष्य को रियर सुख प्राप्त हो सकता है यदि वह अपनी इच्छा का ध्वंस कर डाले, क्योंकि इच्छा ही सबसे बड़ी आपत्ति है
10- इच्छा कभी तृप्त नहीं होती, किन्तु यदि कोई मनुष्य उसको त्याग दे तो वह उसी क्षण पूर्णता को प्राप्त कर लेता है ।
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