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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ द्विदिविहती ३
$ १७२. सम्मत्तस्स जो अप्पदरडिदिविहत्तियो सो मिच्छत्त बारसकसाय-णवणोकसायाणं णियमा अप्पदरट्ठिदिविहत्तिओ । गवरि मिच्छत्तं सिया अस्थि । अनंताणु०चक्क० सिया अत्थि । जदि अत्थि सिया अप्पदरविहत्तिओ सिया अवत्तव्यविहत्तिओ । सम्मामिच्छत्तस्स सिया विहत्तियो । जदि विहत्तिओ णियमा अप्पदर विहत्तिओ । सम्मत्तभुजगारस्स जो वित्तिओ मिच्छत्त-सोलसक० णवणोक० अप्पदर० णियमा विहत्तिओ । सम्मामिच्छत्तस्स भुजगारस्स णियमा विहत्तिओ । एवमवत्तव्यस्स वि सण्णियासो कायव्वो । णवरि सम्मामिच्छत्तस्स सिया भुजगारविहत्तिओ सिया अवत्तव्यविहत्तिओ । सम्मामिच्छत्तस्स सम्मत्तभंगो | णवरि सम्मत्तं सिया अत्थि । अप्पदरविहत्तियम्मित्ति वत्तव्वं । सम्मामिच्छत्तस्स अवत्तव्यविहत्तिओ सम्मत्तस्स णियमा अवत्तव्यविहत्तिओ । $ १७३. अनंताणु कोध० अप्प ० जो विहत्तिओ सो मिच्छत्त-पण्णा रस कसाय-णवणोकसायाणमप्पद ० णियमा विहत्तिओ । सम्मत्त सम्मामिच्छत्ताणि सिया अत्थि । जदि अस्थि सिया ज० विह० सिया अप्प ० विहत्तिओ सिया अवत्तव्यविहत्तिओ' [सिया अवट्ठिदविहतिओ] अणंताणु० कोध ० जो अवत्तव्यविहत्तिओ सो मिच्छत्त-वारसक० णवणोक० णियमा
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$ १७२. सम्यक्त्वकी जो अल्पतरस्थितिविभक्तिवाला है वह मिध्यात्व, बारह कषाय और कषायोंकी नियम से अल्पतर स्थितिविभक्तिवाला है । किन्तु इतनी विशेषता है कि कदाचित् मिथ्यात्व है । अनन्तानुबन्धी चतुष्क कदाचित् है । यदि है तो उसकी अपेक्षा यह जीव कदाचित् अल्पतर स्थितिविभक्तिवाला और कदाचित् अवक्तव्य स्थितिविभक्तिवाला है । सम्यग्मिथ्यात्व कदाचित् है यदि है तो उसकी अपेक्षा नियमसे अल्पतर स्थितिविभक्तिवाला है । जो सम्यक्त्वकी भुजगार स्थितिविभक्तिवाला है वह मिथ्यात्व, सोलह कषाय और नौ नोकषायोंकी नियमसे अल्पतर स्थितिविभक्तिवाला है । सम्यग्मिध्यात्वकी नियम से भुजगार स्थितिविभक्तिवाला है। इसी प्रकार अवक्तव्यपदका भी सन्निकर्ष करना चाहिये । किन्तु इतनी विशेषता है कि यह कदाचित् सम्यग्मिथ्यात्व की भुजगार स्थितिविभक्तिवाला है और कदाचित् अवक्तव्यस्थितिविभक्तिवाला है । सम्यग्मिथ्यात्वका भंग सम्यक्त्व के समान है । किन्तु इतनी विशेषता है कि सम्यग्मिथ्यात्वकी अल्पतर विभक्तिवाले के सम्यक्त्व कदाचित् है ऐसा कहना चाहिये और जो सम्यग्मिथ्यात्वकी अवक्तव्य विभक्तिवाला है वह सम्यक्त्वकी नियमसे अवक्तव्य विभक्तिवाला है ।
$ १७३. जो अनन्तानुबन्धी क्रोधकी अल्पतर स्थितिविभक्तिवाला है वह मिथ्यात्व, पन्द्रह कषाय भौर नौ नोकषायोंकी नियमसे अल्पतर स्थितिविभक्तिवाला है । सम्यक्त्व और सम्यग्मिध्यात्व कदाचित् हैं । यदि हैं तो इनकी अपेक्षा यह जीव कदाचित् भुजगार स्थितिविभक्तिवाला, कदाचित् अल्पतर स्थितिविभक्तिवाला और कदाचित् अवक्तव्य और कदाचित् अवस्थित स्थितिविभक्तिवाला है । जो अनन्तानुबन्धी क्रोधकी अवक्तव्य स्थितिविभक्तिवाला जीव है वह मिथ्यात्व, बारह कषाय और नौ नोकषायोंकी नियम से अल्पतर स्थितिविभक्तिवाला होता । अनन्तानुबन्धी मान आदि तीन कषायोंकी नियमसे अवक्तव्य स्थितिविभक्तिवाला होता है । सम्यक्त्व और सम्य
१. ता• प्रतौ सिया भवत्तम्बविहतिओ इति वृत्तकोष्ठान्तर्गतः पाठः ।
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