Book Title: Kasaypahudam Part 04
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 330
________________ गा० २२] ट्ठिदिविहत्तीए वड्ढीए अप्पाबहुअं ३.९ गुणा। संखे०भागहाणिक० असंखे०गुणा । असंखे०भागहा०क० असंखे०गुणा । एवं वादर-सुहुमेइंदियपज्जत्तापजत्ताणं । विगलिंदिएसु मिच्छत्त-सोलसक०-णवणोक. सव्वत्थोवा संखे गुणहाणिकम्मंसिया। संखे०भागवड्डि-हाणिकम्मंसिया दो वि सरिसा संखे गुणा । असंखेजभागवढिक० असंखेगुणा । अवढि० असंखे गुणा । असंखे०भागहाणि० संखे०गुणा। सम्मत्त-सम्मामिच्छत्ताणं सव्वत्थोवा असंखे०गुणहाणिक० । संखे०गुणहाणिक० असंखे०गुणा। संखे०भागहाणिक० असंखे०गुणा। असंखे०भागहाणिक० असंखे०गुणा। ५९१. पंचिंदिय-पंचिं०पज्जत्तएसु मिच्छत्त-बारसक०-णवणोकसायाणं सव्वत्थोवा असंखे०गुणहाणिक०। संखे गुणहाणिक० असंखे० गुणा। संखे०गुणवड्डिक० विसे०। संखे०भागवड्डि० संखे०भागहाणिक० दो वि तुल्ला संखे०गुणा । असंखे०भागवहिक० असंखे०गुणा। अवहिदहिदिविहत्तियकम्मंसिया असंखे०गुणा। असंखे०भागहाणिक० संखे०गणा। अणंताणु०बंधीणं सव्वत्थोवा अवत्तव्वकम्मंसिया । असंखे गुणहाणिक० संखे० गुणा । सेसपदाणि मिच्छत्तभंगो। सम्मत्त-सम्मामिच्छत्ताणं सव्वत्थोवा असंखे गुणहाणिक० । अवहिदक० असंखे० गणा। असंखे०भागवड्डिक० असंखे०गुणा । असंखेगुणवड्डिक० असंखे०गुणा । भागहानिकर्मवाले जव असंख्यातगुणे हैं। इनसे असंख्यातभागहानिकर्मवाले जीव असंख्यातगुणे हैं । इसीप्रकार बादर और.सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्त और अपर्याप्त जीवोंमें जानना चाहिये । विकळेन्द्रियोंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय और नौ नोकषायोंकी अपेक्षा संख्यातगुणहानिकर्मवाले जीव सबसे थोड़े हैं। संख्यातभागवृद्धि और संख्यातभागहानिकर्मवाले ये दोनों समान होते हुए भी संख्यातगुणे हैं। इनसे असंख्यातभागवृद्धिकर्मवाले जीव असंख्यातगुणे है। इनसे अवस्थितकमवाले जीव असंख्यातगुणे है। इनसे असंख्यातभागहानिकर्मवाले जीव संख्यातगुणे हैं। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी अपेक्षा असंख्यातगुणहानिकर्मवाले जीव सबसे थोड़े हैं। इनसे संख्यातगुणहानिकर्मवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। इनसे संख्यातभागहानिकर्मवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। इनसे असंख्यातभागहानिकर्मवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। ५९१. पंचेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय पर्याप्तकोंमें मिथ्यात्व, बारह कषाय और नौ नोकषायोंकी अपेक्षा असंख्यातगुणहानिकर्मवाले जीव सबसे थोड़े हैं। इनसे संख्यातगुणहानिकर्मवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। इनसे संख्यातगुणवृद्धिकमेवाले जीव विशेष अधिक हैं। इनसे संख्यातभागवृद्धि और संख्यातभागहानिकर्मवाले ये दोनों तुल्य होते हुए भी संख्यातगुणे हैं। इनसे असंख्यातभागवृद्धि कर्मवाले जीव असंख्यातगुणे हैं । इनसे अवस्थित स्थितिविभक्तिकर्मवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। इनसे असंख्यातभागहानिकर्मवाले जीव संख्यातगुणे हैं । अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी अपेक्षा अवक्तव्यकर्मवाले जीव सबसे थोड़े हैं। इनसे असंख्यातगुणहानिकर्मवाले जीव संख्यातगुणे हैं। शेष पदोंका भंग मिथ्यात्वके समान है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी अपेक्षा असंख्यातगुणहानिकर्मवाले जीव सबसे थोड़े हैं। इनसे अवस्थितकर्मवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। इनसे असंख्यातभागवृद्धिकर्मवाले जीव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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