Book Title: Kasaypahudam Part 04
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 352
________________ गा० २२] द्विदिविहत्तीए द्विदिसंत कम्मट्ठाणपरूवणा बुंसयवेदस्स इत्थवेदविणदृहाणे विणासुवलंभादो । एइंदिएसु णवुंसयवेदपडिवक्खबंधगद्धादो इत्थवेदपडिवक्खबंधगद्धा संखेजगुणा त्ति । णवुंसयवेदसंतकम्मट्ठाणेहिंतो इत्थि वेदसंतकम्मट्ठाणाणं विसेसाहियत्तं किण्ण जायदे ण, पडिवक्खबंधगद्धाओ अस्सिदुण लद्धड्डाणामेत्थ विवक्खाभावादो । तं कुदो गव्वदे ? दोहं पि वेदाणं ट्ठाणाणितुल्लाणि ति सुत्तणिद्देसादो । तेसिं विवक्खा एत्थ किष्ण कदा १ अपुव्वकरणाणियट्टिद्धाणं माहप्पजाणावणडु । * छण्णोकसायाणं द्विदिसंतकम्महापाणि विसेसाहियाणि । ९६३०. कुदो, इत्थि - णवंसयवेदक्खविदद्वाणादो उवरि अंतोमुहुत्तं गंतूण छण्णोकसायाणं खवणुवलंभादो । भय-दुर्गुछट्टाणेहि चदुणोकसायट्ठाणाणं कथं सरिसत्तं १ ण, पडिवक्खबंधगद्धाहिंतो लहाणाणं विवक्खाए अभावादो । * पुरिसवेदस्स द्विदितकम्मद्वाणाणि विसेसाहियाणि । $ ३३१. कुदो छष्णोकसायाणं खीणुद्देसादो समयू णदोआवलियमेत्तद्भाणं ३३१ समाधान — नहीं, क्योंकि जो जीव नपुंसकवेदके उदयसे क्षपकश्रेणि पर चढ़ते हैं उनके नपुंसक वेदका नाश स्त्रीवेदके नाश होनेके स्थान में प्राप्त होता है । - शंका — एकेन्द्रियों में नपुंसकवेदके प्रतिपक्ष बन्धकालसे स्त्रीवेदका प्रतिपक्ष बन्धकाल संख्यातगुणा है, अतः नपुंसकवेदके सत्कर्मस्थानोंसे स्त्रीवेदके सत्कर्मस्थान विशेष अधिक क्यों नहीं होते हैं । समाधान- नहीं, क्योंकि प्रतिपक्ष बन्धकालके आश्रयसे प्राप्त हुए स्थानोंकी यहाँ विवक्षा नहीं है । शंका- यह किस प्रमाणसे जाना जाता है ? समाधान — सूत्र में दोनों ही वेदोंके स्थान तुल्य हैं ऐसा निर्देश किया है, इससे जाना जाता है कि यहाँ प्रतिपक्ष बन्धकालकी अपेक्षा प्राप्त होनेवाले स्थानोंकी विवक्षा नहीं है । शंका-उनकी यहाँ पर विवक्षा क्यों नहीं को ? समाधान —- अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण के माहात्म्यका ज्ञान करानेके लिए यहाँ उनकी विवक्षा नहीं की । * इनसे छह नोकषायोंके स्थितिसत्कर्मस्थान विशेष अधिक हैं । § ६३०. क्योंकि स्त्रीवेद और नपुंसक वेदके क्षय होने के स्थानसे आगे अन्तर्मुहूर्त जाकर छह नोकषायों का क्षय पाया जाता है। शंका- चार नोकषायोंके स्थान भय और जुगुप्साके स्थानोंके समान कैसे हैं ? समाधान नहीं, क्योंकि प्रतिपक्ष बन्धकालोंकी अपेक्षा प्राप्त होनेवाले स्थानोंकी यहाँ विवक्षा नहीं है । * इनसे पुरुषवेदके स्थितिसत्कर्मस्थान विशेष अधिक हैं । § ६३१. क्योंकि जहाँ छह नोकषायों का क्षय होता है वहाँसे लेकर एक समयक्रम दो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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