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१० ।जैनज्योतिर्ग्रन्थसंग्रहे रत्नशेखरीया दिनशुद्धिः । नंदा भद्दा य जया रित्ता पुण्णा य तिहिनंदा भद्रा जया रिक्ता पूर्णा | सनामफला । पडिवइ छट्टि इगारांसे तिथि| १ | २ | ३ | ४ | ५ ३ पमुहा उ कमेण नायव्वा ॥ ८॥ छट्ठी तिथि| ६ | ७ | ८ | ९ | १० रित्तट्ठमी बारसी अ अमावसा गयतिही तिथि | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ उ। वुड्डतिहि कूरदद्धा वजिज सुहेसु कम्मेसु ॥९॥ मेसाइ चउसु चउरो तिही ६ कमेणं च पुण्ण सव्वेसु । एवं परउ सकूररासि असुहा तिही वजा॥१०॥ छग चउ अट्ठमि छट्टि दसमट्ठमि बार दसमि बीया उ । बारसि चउत्थि बीआ मेसाइसु सूरददिणा॥११॥* इति तिथिद्वारम् *- सउणि चउप्पय
धन मीन संक्रांतिमां २, वृष कुंभ संक्रांतिमा ४ सूर्य मेष कर्क संक्रांतिमा ६, कन्या मिथुन संक्रांतिमां ८ दग्धाः
वृश्चिक सिंह संक्रांतिमा १०, मकर तुला संक्रांतिमा १३ १२ नागा कित्थुग्घा किण्हचउद्दसि निसाओ। थिरकरण तीस घडिआ परओ
चलकरण एयाई॥१२॥ बव-बालव-कोलव-तेतिलक्ख गर-वणिअ-विट्ठिनामाणो । पायं सव्वे वि सुहा एगा विट्ठी महापावा॥१३॥ किण्हे पक्खे दिणे १५ भद्दा सत्तमी अ चउद्दसी । रत्तिं दसमि तीआए सुक्के एगदिणुत्तरा॥१४॥
भद्रानिवासयन्त्रम् । चउद्दसी अट्ठमी सत्तमीए राका चउत्थी दसमीइ तिथि प्रहर दिशा १८ भद्दा । एगारसी तीअ कमा दिसाहिं तस्संखजामे | १४ | १ | पूर्व भिमुहाऽतिपावा ॥ १५॥ पण दुग दस पण पण
अग्नि
दक्षिण तिअ विट्ठिघडी वयण कंठ उरु नाही । कडि पुच्छगा २१ य सिद्धिखयनिस्सकुबुद्धिकलहविजयकरा ॥ १६ ॥ कित्थुग्घ सउणि कोलव उड्ढकरण तिन्नि, तिन्नि सुत्ताई।
तेइल नाग चउप्पय, पण सेस निविट्ठकरणाई॥१७॥ २४-7 इति कारणद्वारम् - ति ति छ पण ति एग चऊ| ३ | ईशान
ति छ पण दु दु पणिग एग चउ चउरो। ति इगार चउ चउ तिगं ति चउ
सयं दु दुग बत्तीसं ॥ १८ ॥ इअ रिक्खाणं कमसो परिअरतारामिई २. मुणेयव्वा । तारासमसंखागा तिही वि रिक्खेसु वजिजा ॥ १९॥
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वायव्य
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उत्तर
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