________________ जैनधर्म का उभव और विकास : 19 पुनः हमें यह भी स्मरण रखना चाहिए कि दोनों ही परम्पराएं उनका जन्म नक्षत्र विशाखा मानती हैं। पार्श्वनाथ की आयु 100 वर्ष की मानी गई है और ऐसा माना जाता है कि उनके निर्वाण के 178 वर्ष पश्चात् महावीर का जन्म हुआ था। इस आधार पर पार्श्वनाथ का जन्म महावीर के जन्म से 278 वर्ष पूर्व माना जा सकता है। प्रसिद्ध जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को पार्श्वनाथ का निर्वाण स्थल मानने में श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों परम्पराएँ एकमत हैं, किन्तु पार्श्वनाथ की जन्मतिथि के समान ही निर्वाण तिथि को लेकर भी दोनों परम्पराओं में मतभेद है। श्वेताम्बर परम्परा पार्श्वनाथ की निर्वाण तिथि श्रावण शुक्ला अष्टमी मानती है, जबकि दिगम्बर परम्परा यह तिथि श्रावण शुक्ला सप्तमी का प्रदोष काल मानती है। किन्तु पार्श्वनाथ की आयु सौ वर्ष मानने में दोनों परम्पराएँ एकमत हैं।' पार्श्वनाथ के जन्म और निर्वाण की तरह उनके विवाह प्रसंग को लेकर भी श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों परम्पराओं में मतभेद है। श्वेताम्बर परम्परा के मान्य ग्रन्थ चौपनमहापुरुषचरित्र, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र तथा श्रीपार्श्वनाथचरित्र ( देवभद्र ) में पार्श्वनाथ के विवाह का उल्लेख हुआ है जबकि पाश्र्वनाथ के जीवनवृत्त का उल्लेख करने वाले दिगम्बर परम्परा के मान्य ग्रन्थ तिलोयपण्णत्ति, पद्मचरित्र, . उत्तरपुराण और पार्श्वनाथचरित्र ( वादिराज ) में पार्श्वनाथ के विवाह का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। इस आधार कहा जा सकता है कि श्वेताम्बर परम्परा ने पार्श्वनाथ को विवाहित माना है जबकि दिगम्बर परम्परा ने उन्हें अविवाहित माना है। जैनों में पार्श्वनाथ के प्रति जो आस्था देखी जाती है वह अन्य किसी तीर्थंकर के प्रति नहीं देखी जाती है। देश में आज भी सर्वाधिक तीर्थ और तीर्थंकर प्रतिमाएँ पार्श्वनाथ की ही हैं। जैन उपासकों के हृदय में पार्श्वनाथ के प्रति जितनी अधिक श्रद्धा और आस्था है उतनी अधिक श्रद्धा 1. शास्त्री, देवेन्द्रमुनि-भगवान् पार्श्व एक समीक्षात्मक अध्ययन, पृष्ठ 115 2. चउप्पनमहापुरिसचरियं, 261 : 3. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, 9 / 3 4. सिरिपासणाहचरियं, 3 // 162-153