________________ विभिन्न सम्प्रदायों की श्रावकाचार सम्बन्धी मान्यताएं : 227 श्वेताम्बर मूर्तिपूजक परम्परा में जिनप्रतिमा के चक्ष खुले हुए प्रदर्शित करने की परम्परा है, जबकि दिगम्बर परम्परा में प्रतिमा के चक्षु अर्द्धनिमिलित ही दर्शाये जाते हैं। फिर भी दिगम्बर परम्परा की कुछ मर्तियाँ, जो ग्वालियर किले पर उत्कीर्ण हैं, उनके चक्षु खुले हैं / परवर्ती श्वेताम्बर प्रतिमाओं में लंगोट का अंकन भी पाया जाता है। __ जैनधर्म के विभिन्न सम्प्रदायों को श्रावकाचार सम्बन्धी मान्यताओं के इस विवेचन से ज्ञात होता है कि जैनधर्म में श्रावकाचार को लेकर जितनी भिन्नता है, उतनी श्रावकाचार के सम्बन्ध में नहीं है / श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों परम्पराओं में श्रावक के बारह व्रतों, ग्यारह प्रतिमाओं तथा संलेखना आदि का प्रतिपादन समान रूप से हआ है। मात्र व्रतों के क्रम एवं उनके अतिचारों के नाम तथा क्रम में आंशिक भिन्नता है, जिसको चर्चा हमने यथास्थान की है।