Book Title: Jain Dharm ke Sampraday
Author(s): Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 244
________________ उपसंहार : 233 लोक के स्वरूप को लेकर भी दोनों परम्पराओं में कुछ मतभेद हैं। उदाहरण के रूप में स्वर्ग सोलह हैं या बारह, लोकपाल आठ हैं या नौ, ये "प्रश्न उठाये गये हैं। श्वेताम्बर और दिगम्बर सम्प्रदायों के मान्य ग्रन्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि इस विषयक जो भी भिन्नता है वह इन परम्पराओं के भिन्न-भिन्न आचार्यों के कथनानुसार ही है। ___ आत्मा के कर्तृत्व, भोक्तृत्व, कर्म और आत्मा के सम्बन्ध तथा "आत्मा के बन्धन आदि ऐसे अनेक बिन्दु हैं जिनमें सामान्यरूप से तो श्वेताम्बर और दिगम्बर मान्यता में एकरूपता हो है, किन्तु दिगम्बर परम्परा के महान् आचार्य कुन्दकुन्द ने इन सभी तथ्यों को निश्वयनय से जो व्याख्याएँ प्रस्तुत की हैं वे भो अपने आप में विशिष्ट हैं। उसो के आधार पर दिगम्बर परंपरा में निश्चयपंय-कानजो पंथ जैसे उपसम्प्रदाय अस्तित्व में आए हैं। दार्शनिक दृष्टि से श्वेताम्बर और दिगम्बर परंपरा में विवाद के -मुख्य बिन्दु तो स्त्रोमुक्ति, सवस्त्रमुक्ति, केवलो भुक्ति, सचेलता-अचेलता आदि रहे हैं। इन मुद्दों को हमने इस अध्याय में विस्तारपर्वक चर्चा को है। इसो सन्दर्भ में विशेष ज्ञातव्य तथ्य यह है कि दिगम्बरत्व और अवे. लकत्व को प्रतिपादक होते हुए भी यापनीय परंपरा ने स्त्रीमुक्ति, सवस्त्रमुक्ति और केवलोभुक्ति की मान्यता को स्वीकार किया है। पंचम अध्याय में हमने श्रमणाचार की चर्चा की है। इस चर्चा में हमने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि श्रमण आचार के प्रश्न को लेकर सामान्य रूप से मूलभूत सिद्धान्तों में कहीं कोई विवाद नहीं है। -महाव्रत, गुप्ति, समिति आदि को स्वीकृति और व्यवहार श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों परंपराओं में समान ही है / षडावश्यक तथा दसधर्म आदि को भी दोनों परम्पराएँ समान रूप से ग्रहण करतो हैं। दोनों परंपराओं में श्रमण आचार को लेकर जो मुख्य विवाद हैं वह तो सचेलता-अचेलता का ही है, जिसको चर्चा चौथे अध्याय में को जा चुको है। साथ हो सचेलता और अचेलता का मुद्दा न केवल आचार का है, वरन दर्शन का भी है क्योंकि उसके साथ मुक्ति को यह अवधारणा भो जुड़ी हुई है कि सचेल मुक्त हो सकता है या नहीं? श्वेताम्बर और दिगम्बर परंपरा में विवाद का एक मुख्य बिन्दु यह भो रहा है कि परिग्रह क्या है ? क्या मूर्छा और आसक्ति परिग्रह है या वस्त्र परिग्रह है ? - श्रमणाचार की चर्चा करते हुए हमने भिक्षाचर्या, आहार, विहार, वर्षावास, उपकरण, वस्त्र, पात्र, रजोहरण, मुखवस्त्रिका, प्रति लेखना और

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