________________ जैनधर्म के सम्प्रदाय : 59 घोषणा की कि यदि यह कम्बल रखना परिग्रह है तो वह ऐसी कोई भी वस्तु अपने पास नहीं रखेगा, जो ममत्व का कारण बने। ऐसा कहकर उसने अपने सभी वस्त्रों का त्याग कर दिया और निर्वस्त्र विचरण करने लगा। शिवभूति द्वारा इस प्रकार किया गया वस्त्र त्याग हो श्वेताम्बर मतानुसार दिगम्बर परम्परा की उत्पत्ति का कारण बना है। इसी कथा के सन्दर्भ में श्वेताम्बर परम्परा का यह भी कहना है कि शिवभूति की बहिन भी नग्न होकर उसके संघ में शामिल हो गई, किन्तु उसे नग्न विचरण करते हुए देखकर एक वेश्या ने उप पर एक वस्त्र डाल दिया। तब शिवभूति ने उससे कहा कि इसे देवदुष्य समझकर ग्रहण कर लो। इस प्रकार शिवभूति ने स्त्रियों के लिये सवस्त्रता स्वीकार करलो। श्वेताम्बर एवं दिगम्बर सम्प्रदायों को उत्पत्ति सम्बन्धी मान्यताओं का निष्कर्ष : ___ श्वेताम्बर एवं दिगम्बर इन दोनों सम्प्रदायों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में जो कथाएँ प्रचलित हैं, उनका हमने यहाँ उल्लेख किया है उस आधार पर यद्यपि यह निर्णय कर पाना सहज नहीं है कि इनमें से कौनसा कथन सत्य है और कौनसा असत्य ? तथापि मतभेद से सम्बन्धित इन कथाओं के आधार पर यह निष्कर्ष तो निकाला हो जा सकता है कि दोनों सम्प्रदायों को उत्पत्ति का समय लगभग एक ही है। यह समय चाहे महावीर निर्वाण के 606 वर्ष पश्चात् माना जाए, चाहे 602 वर्ष पश्चात् / मात्र तोन वर्ष का अन्तर कोई ऐसा बड़ा अन्तर नहीं है, जिसे प्रामाणिक मानते हुए किसी एक सम्प्रदाय को प्राचीन मान लिया जाये और दूसरे को अर्वाचीन। * हमारे अनुसार संघ भेद की यह परिणति किसी एक घटना का परिमाम नहीं है। इसलिए यह मानना प्रासंगिक होगा कि जैनधर्म में यह परम्परा भेद बहुत समय पहले से चला आ रहा था जो महावोर निर्वाण के 606 वष अथवा 609 वर्ष पश्चात् स्पष्ट रूप से संघभेद के रूप में सामने आ गया। यापनीय सम्प्रदाय : यद्यपि वर्तमान में विद्वत्वर्ग और जनसाधारण जैनधर्म के दो प्रमुख सम्प्रदायों-श्वेताम्बर एवं दिगम्बर से ही परिचित हैं, किन्तु इस धर्म का एक अन्य महत्वपूर्ण सम्प्रदाय "यापनोय" सम्प्रदाय भी था, जो ई०. .