________________ .88 : जैनधर्म के सम्प्रदाय साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने के कारण इस गच्छ के संदर्भ में भी विशेष जानकारी ज्ञात नहीं हो सकी है। 61. पूर्णिमापक्षे वटपद्रीय गच्छ : यह गच्छ भी पूर्णिमा गच्छ से ही सम्बन्धित रहा है। 1466 ई० के एक मूर्तिलेख में इस गच्छ का उल्लेख मिलता है।' इस गच्छ से सम्बन्धित अन्य जानकारियां अज्ञात हैं / 62. बोकड़िया वृहद् गच्छ : यह गच्छ वृहद्गच्छ अथवा बोकड़िया गच्छ से संबंधित रहा होगा। इस गच्छ का उल्लेख 1473 ई. के एक अभिलेख में मिलता है। इस गच्छ की उत्पत्ति एवं मान्यता विषयक अन्य कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। 63. कोमलं गच्छ : इस गच्छ के संस्थापक आचार्य, उत्पत्ति समय एवं स्थान आदि विषयक जानकारी अनुपलब्ध है। 1477 ई० के एक अभिलेख में इस गच्छ का नामोल्लेख मात्र उपलब्ध होता है / 64. खरतर मधुकर गच्छ : यह गच्छ खरतर गच्छ की हो एक शाखा के रूप में, जाना जाता है। 1490 ई. के एक अभिलेख में इस गच्छ का उल्लेख उपलब्ध होता है। इस गच्छ के संदर्भ में भी अन्य कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। 65. नागौरी तपागच्छ : इस गच्छ के नामोल्लेख से हो यह स्पष्ट हो जाता है कि यह गच्छ तपागच्छ की ही एक शाखा है। यह गच्छ नागौर में अस्तित्व में आया था। 1494 ई० तथा 1610 ई० के 2 मूर्तिलेखों में इसे गच्छ का उल्लेख मिलता है।" नामोल्लेख के अतिरिक्त इस गच्छ से सम्बन्धित और कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। 1. प्रतिष्ठा लेख संग्रह, क्रमांक 626 2. वही, क्रमांक 725 3. वही, क्रमांक 770 4. वही, क्रमांक 848 5. वही, क्रमांक 865, 1092