________________ 98 : जैनधर्म के सम्प्रदाय 6. मदनलाल जी म. सा० का सम्प्रदाय : इस सम्प्रदाय के वर्तमान में संघ प्रमुख श्री सुदर्शनलालजी मसा. है। श्वेताम्बर स्थानकवासी परंपरा में यही एकमात्र ऐसा सम्प्रदाय है जिसमें केवल मुनि ही हैं, साध्वियां नहीं हैं। इस सम्प्रदाय में वर्तमान में 25 संत हैं। 7. धर्मदास जी म. सा. का सम्प्रदाय : ____ इस सम्प्रदाय के अधिकांश संत-सतियाँ जी तो श्रमण संघ में सम्मिलित हैं, किन्तु श्री लालचन्द जी म. सा. का समुदाय श्रमण संघ से अलग रहा। लालचन्द जी म० सा० प्रतिवर्ष अपने चातुर्मास की आज्ञा श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री उमेशमुनि जी म. सा. से मंगवाते रहे। इस सम्प्रदाय के वर्तमान आचार्य श्री मानमुनि जी म. सा० हैं। वर्तमान में लगभग 25 संत-सतियाँ जी इस सम्प्रदाय में हैं। 8. उपाध्याय अमरमुनि जी म. सा० का सम्प्रदाय . स्थानकवासी परम्परा में उपाध्याय अमरमुनि जी म० सा० का . सम्प्रदाय भी विशिष्ट स्थान रखता है। उपाध्याय अमरमुनि जो म० सा० विगत कई वर्षों से वोरायतन-राजगह में ही स्थिर-वास कर रहे थे, किन्तु वर्ष 1992 में हो आपका स्वर्गवास हुआ है। इस सम्प्रदाय में अब पं० विजयमुनिजी म. सा. आदि कुछ संत हैं किन्तु उपाध्याय श्रोअमरमुनि जी म. सा. द्वारा विदुषी साध्वी चन्दना श्री जी को आचार्य पद प्रदान किये जाने के पश्चात् वे इस समूह से निरपेक्ष हैं। किसो साध्वी को आचार्य पद पर प्रतिष्ठापित करने का श्रेय संभवतः इसी सम्प्रदाय को है। इस सम्प्रदाय में वर्तमान में लगभग 25 संत-सतियाँ जी हैं। 9. वृहद् गुजरात सम्प्रदाय : स्थानकवासी परम्परा में वृहद् गुजरात में कुछ स्वतन्त्र सम्प्रदाय वर्तमान में अस्तित्व में हैं / 2 पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में इन सम्प्रदायों की आचार्य परम्परा तथा मान्यताओं संबंधी जानकारी हमें ज्ञात नहीं हो सकी है। अतः यहाँ हम इन सम्प्रदायों का नामोल्लेख मात्र कर (1) गोंडल पक्ष सम्प्रदाय, (2) लिम्बडो छः कोटी मोटा पक्ष सम्प्र१. जैन, बाबुलाल-समग्र जैन चातुर्मास सूची, पृ० 41; प्रकाशन वर्ष 1991 / ' 2. वही, वर्ष 1912