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यह कथन जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति आदि शास्त्रों मे है.
प्र. रोके गुणाका बरनन करो.
न - तीर्थंकर भगवंत बदलेके उपकारकी इवा रहित राजा रंक ब्राह्मण और चंमाल प्रमुख सर्व जातिके योग्य पुरुषांकों एकांत हितकारक संसार समुश्की तारक धर्मदेशना करते है और तीर्थंकर भगवंत के गुणतो इंदिनी सर्व बरनन नही करसक्ते है तो फेर मेरे अल्प बुद्धीवालेकी तो क्या शक्ति है तो संक्षेपसें नव्यजीवांके जानने वास्ते थोमासा बरनन करते है. अनंत केवल ज्ञान १ अनंत केवल दर्शन २ अनंत चारित्र ३ अनंत तप | अनंत वीर्य ५ अनंत पांच लब्धि ६ कमा ७ निर्दोनता ८ सरलता ए निरनिमानता १० लाघवता १९ सत्य १२ संयम १३ निरिबकता १४ ब्रह्मचर्य १५ दया १६ परोपकारता १७ राग द्वेष रहित १८ शत्रु मित्राव रहित १८० कनक पथर इन दोनो ऊपर सम जाव २० स्त्री और तृण ऊ पर समन्नाव २१ मांसाहार रहित २२ मदिरा
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- तीर्थंकर क्या करते है और तीर्थक
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