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मस्तकपर स्थाप्यो छे हाथ जेणे एवो, मनुष्य विद्याधर देवना समूहयी वंदनीक, यति मुनिओ सहित जिनेन्द्र केवाल भगवानने वारंवार नमस्कार करीने मनोवेग सन्तुष्टचित्त थईने मुनिओनी सभामां बेठो ॥ ७० ॥ . ___आ प्रमाणे श्री अमितगति आचार्यकृत 'धर्म परिक्षा' नामना संस्कृत ग्रंथनी गुजराती भाषा टिकामां प्रथम प्रकरण पूर्ण थयुं ॥.१ ॥
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