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साहू जुगमन्दरदास
परिवारों में बिजनौर जिले के नजीबाबाद कस्बे के साहू जैन परिवार का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। नजीबाबाद में साहू जैन परिवार बड़ा जमींदार परिवार था। पूरे जिले में यह परिवार अपनी आर्थिक समृद्धि हेतु प्रसिद्ध था। अंग्रेजी सरकार ने साहू परिवार के सदस्य जुगमन्दरदास जैन को 'रायबहादुर' की उपाधि प्रदान की थी। ‘रायबहादुर' की उपाधि लगी होने के बाद भी साहू जुगमन्दरदास जैन देश-विद्रोही कार्यों के खिलाफ रहते थे।
प्रसिद्ध लेखक एवं स्वतंत्रता सेनानी अयोध्याप्रसाद गोयलीय ने लिखा है-रायबहादुर जुगमन्दरदास जाहिरा में न खद्दरपोश थे,
न ही कांग्रेसी। वे ऑनरेरी मजिस्ट्रेट, मुंसिफ और ट्रेजरार थे। इसलिए जनता उन्हें भी जी-हुजूर समझती थी, लेकिन वे जी-हुजूर नहीं थे। सरकारी
ऑफिसर्स की हाँ में हाँ मिलाना वे खिलाफे शान समझते थे और देशविरोधी कार्यों में उनसे सहयोग की आशा किसी को हो ही नहीं सकती थी। जुगमन्दरदास जैन ने 6 वर्ष तक जिला बोर्ड के चेयरमैन रहते हुए जिले में काफी विकास कार्य कराये तथा जरूरतमन्दों की आर्थिक मदद की। अन्तिम समय (1935) तक श्री जैन जनपद की सेवा करते रहें।
_साहू शान्तिप्रसाद जैन एवं साहू श्रेयांसप्रसाद जैन ने उद्योगपति के रूप में पूरे देश में ख्याति प्राप्त की। शान्तिप्रसाद जैन का जन्म 1911 में नजीबाबाद में हुआ था। 1933 में साहू शान्तिप्रसाद जैन उनका विवाह उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया की पुत्री रमारानी से हुआ। रमारानी की माता का बचपन में ही निधन हो गया था, अतः उनकी शिक्षा तथा पालन-पोषण
सेठ जमनालाल बजाज की देखरेख में हुआ। श्री बजाज विख्यात देशभक्त एवं उद्योगपति थे। उनके सान्निध्य के कारण रमाजी में बचपन से ही देशसेवा के संस्कार घर कर गये थे।
साहू शान्तिप्रसाद जैन ने अनेक उद्योगों की स्थापना की तथा डालमिया उद्योग समूह में भी अपनी महत्त्वपूर्ण भागीदारी की। अक्टूबर 1938 में गठित प्रथम राष्ट्रीय औद्योगिक समिति में पं.
जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें देश के तरूण उद्योगपतियों इन्दिराजी के साथ रमारानी के प्रतिनिधि के तौर पर मनोनीत किया । उद्योगपतियों
20 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान