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पुत्र बनारसीदास जैन मेरठ को दिल्ली षड्यंत्र केस में भागीदारी करने पर 22 अगस्त 1933 को 5 साल कैद की सजा मिली और उन्हें केन्द्रीय कारागार दिल्ली, पुरानी जेल दिल्ली, मुलतान आदि कारागारों में रखा गया।
विमलप्रसाद जैन ने पूरे भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों को चलाने के लिए बमों के निर्माण की आवश्यकता को महसूस किया तथा दिल्ली में बम फैक्ट्री की स्थापना में पूर्ण योगदान दिया। महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद, सच्चिदानन्द हीरानन्दवात्स्यायन 'अज्ञेय', विमलप्रसाद जैन व हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के अन्य सदस्यों ने मिलकर मकान नं. 3614/3074 में झंडेवाला बम फैक्ट्री की स्थापना की। यह फैक्ट्री कुतुब रोड सदर बाजार के पास सदर थाना रोड जाने वाले पहले रास्ते के मोड़ पर कुछ दूरी पर स्थित थी। मकान का किरायानामा विमल जी के नाम से ही लिखा गया। फूलचंद जैन ने लिखा है ‘चन्द्रशेखर आजाद के निर्देशानुसार विमलप्रसाद जैन ने ईदगाह रोड पर चारों ओर से खुला एक मकान, जिस पर दिल्ली नगरपालिका की गृह सं. 3614/3074 अंकित थी, बनवारीलाल पुत्र गुलजारी लाल वैश्य, चावड़ी बाजार वालों से जुलाई, 1930 में 53 रुपये माहवार किराये पर ले लिया। यहाँ 27 अक्टूबर 1930 तक बम फैक्ट्री का कार्य हुआ।'
बम फैक्ट्री की गोपनीयता बनाये रखने के लिए इसके बाहर 'हिमालियन टॉयलेटस' लिखकर अंग्रेजी का एक बड़ा साइन बोर्ड लगा दिया गया। यह मकान चारों ओर से खुला हुआ था, जिससे खतरा होने पर बचकर निकला जा सके, फैक्ट्री वाला स्थान काफी बड़ा और सुभीते का था और दो भागों में विभाजित था। बड़ी सड़क की ओर वाले हिस्से में ऊपर की मंजिल में जंगलेवाली खिड़की लगी हुई थी और इसी में बारूद आदि रसायनों को मिलाकर बम बनाये जाते थे, जिससे जहरीला धुआं ऊपर की ओर ही खुले में निकल जाये। यह फैक्ट्री साधारण व्यापारिक संस्थान लगे इसलिए इसमें स्त्रियों की भर्ती की गयी। रूपवती जैन ने लिखा है, 'मुझे गाँव से बुलाने के लिए विमल जी ने अपने छोटे भाई जुगमन्दर दास जैन को गाँव में मुझे लेने के लिए भेजा था। निश्चित समय और स्थान पर विमल जी हमको लिवाने पहुँच गये। जुगमन्दर जी को वहीं से विदा कर दिया गया और मुझे लेकर वे बम फैक्ट्री में पहुँच गये।
बम फैक्ट्री में जमादारनी अशरफी नाम की एक महिला थी, जो वहाँ साफ-सफाई करने आती थी। रूपवती जैन यह विशेष तौर पर ध्यान रखती थी कि अशरफी को भी यहाँ की गतिविधियों के बारे में पता नहीं चलना चाहिए। फूलचंद जैन ने लिखा है, रूपवती जैन, वहाँ (फैक्ट्री में) पार्टी के सब सदस्यों के भोजन इत्यादि का प्रबंध करती थीं और यहाँ बनाये हुए भोजन से जमादारनी का हिस्सा निकालकर पहले से अलग रख देती थीं। कभी-कभी श्रीमती जैन उसे सुगंधित तेल,
84 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान