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सहपऊ में सरकार विरोधी अनेक कार्य किये थे। उनके पिता रिक्खीलाल जैन ने भी इस आंदोलन में भाग लिया। रिक्खीलाल जी 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेने के कारण 1 वर्ष जेल में रह चुके थे। सरकार ने उन पर 30 रुपये का जुर्माना भी लगाया था । वजात रिक्वीलाल जैन आगरा में सेठ अचलसिंह एवं भगवतीदेवी जैन के स्टेच्यु के साथ लेखक के दूसरे पुत्र जयन्तीप्रसाद जैन ने भी इस आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया। आन्दोलन के दौरान उन्होंने अपनी मंडली के साथ मथुरा में जगह-जगह जाकर सरकार विरोधी नारे लगाये तथा सरकारी सम्पत्ति को नष्ट किया। परिणाम स्वरूप सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। श्री जैन 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी भाग लेने के कारण 6 मास कैद और 20 रुपये जुर्माने की सजा पा चुके थे। जुगलकिशोर जैन ने भी इस आन्दोलन में भाग लेने के कारण जेल के कष्ट भोगे। श्री जैन 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भागीदारी करने के कारण भी, 1 वर्ष कैद और 24 रुपये जुर्माने की सजा पा चुके थे। रामसिंह जैन को इस आन्दोलन में भाग लेने के कारण 15 दिन नजरबंद रखा गया। 1941 के व्यक्तिगत आंदोलन में भाग लेने के कारण भी श्री जैन 1 वर्ष कारागार में रहे थे और उन पर 50 रुपये जुर्माना किया गया था। सकि। आगरा के जैन समाज ने पहले आन्दोलनों की भाँति व्यक्तिगत सत्याग्रह तथा भारत छोड़ो आन्दोलन में भी सक्रिय भाग लिया। सेठ अचलसिंह जैन ने जिला कांग्रेस कमेटी के प्रधान के तौर पर पूरे जिले में अनवरत कार्य किया। महात्मा गाँधी द्वारा व्यक्तिगत सत्याग्रह का कार्यक्रम जारी करते ही सेठ जी ने 15 दिसम्बर, 1940 को आगरा के 'पृथ्वीनाथ' नामक स्थान पर सत्याग्रह करने की सूचना कांग्रेस के निर्णयानुसार जिला मजिस्ट्रेट को दे दी। जिला प्रशासन ने 15 तारीख की प्रतीक्षा करने से पूर्व ही 14 दिसम्बर को सेठ जी को उनके निवास स्थान से गिरफ्तार कर लिया। 38 उ.प्र. सूचना विभाग के अनुसार उन्हें 1 वर्ष कैद की सजा हुई थी। व वैद्य चिरंजीलाल जैन ने तहसील बाह जिला आगरा में सत्याग्रह किया, जबकि
128 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान