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पुत्र नवलकिशोर जैन, रूपचन्द जैन, बाबू देवकुमार जैन, पद्मराज जैन, खेमराज जैन, धूपचन्द जैन ने भी बढ़-चढ़कर इस आन्दोलन में भागीदारी की। 411
काशी (बनारस) में स्याद्वाद जैन महाविद्यालय ने पहले दोनों राष्ट्रीय आन्दोलनों में अपना सक्रिय योगदान दिया था। महाविद्यालय की देशभक्ति की भावना के अनुरूप महात्मा गाँधी, मदन मोहन मालवीय, बाबू भगवानदास, बाबू श्री प्रकाश जी, आचार्य नरेन्द्र देव, बाबू सम्पूर्णानन्द आदि राष्ट्रीय नेता समय-समय पर जैन विद्यालय में पधारते रहे। सभी नेताओं के भाषणों और सानिध्य का प्रभाव जैन छात्रों पर बहुत गहराई तक पड़ा।
मा भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रारम्भ होते ही राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत इन विद्यार्थियों ने मातृ भूमि के लिए स्वयं को फिर समर्पित कर दिया। काशी की स्थिति उस समय बहुत विकट थी। चारों ओर ब्रिटिश सरकार का दमन चक्र चल रहा था। 9 अगस्त, 1942 को आन्दोलन का प्रारम्भ होते ही जैन छात्रों ने प्रदर्शनकारियों के साथ मिलकर काशी में जगह-जगह हड़ताल करायी। संस्कृत की छोटी से छोटी पाठशाला से लेकर क्वींस कॉलेज तक हड़ताल के लिए उन्होंने धावा
बोला। जैन छात्रों ने सरकार विरोधी पर्चे छपवाये और पं. कैलाशचन्द्र
उन्हें काशी की गली-गली में वितरित किया। इन पों
के वितरण से सरकार परेशान हो गयी।42 शीघ्र ही पुलिस ने आपत्तिजनक पर्चे वितरित करनेवाले दल के मुखिया शीतलप्रसाद जैन को गिरफ्तार कर लिया। 24 अगस्त 1942 को सरकार ने दफा 34/39 डी.आई.आर. के अंतर्गत श्री जैन को 2 वर्ष कठोर कारावास और 50 रुपये जुर्माने की सजा दी।43 शीतल प्रसाद जैन, जैन विद्यालय में एम.ए. और दर्शनाचार्य के छात्र थे। जेल में सरकार ने उन्हें मनमानी यातनायें दी। पहले उन्हें जिला जेल में रखा गया और फिर वहाँ से सेन्ट्रल जेल में भेज दिया गया। सेन्ट्रल जेल इलाहाबाद में उन्हें कई बार 'तनहाई' में रखा गया। श्री जैन दो वर्ष बाद जब जेल से आये, तो उनका स्वास्थ्य टूटा हुआ था। इस कारण वे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाये।
जैन महाविद्यालय काशी के छात्रों ने अपना संगठन बनाकर गुप्त रूप से सरकार विरोधी कार्य करने का निश्चय किया। इस छात्र संघ में बालचंद्र जैन, गुलाब चन्द्र जैन, नरेन्द्र गोयलीय जैन, हरीशभूषण जैन, सगुनचन्द्र जैन, ताराचन्द जैन, हुकुमचन्द जैन आदि छात्र सक्रिय रूप से कार्य करने लगे।45 इस देशभक्त छात्र संगठन ने अपनी बैठक में बालचन्द जैन को अपना नेता चुना। उसके बाद छात्रों
148 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान