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उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस वर्ग के लोगों ने आगे आकर इस आन्दोलन में अपना सक्रिय योगदान दिया। नमक कानून तोड़ने के साथ ही उन्होंने विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार हेतु आन्दोलन चलाये। जैन मंदिरों में प्रयोग की जाने वाली विदेशी धोती-दुपट्टे को हटाकर स्वदेशी वस्त्रों का प्रयोग करना प्रारम्भ कर दिया गया। जैन नवयुवकों ने जैन मंदिरों में धरने देकर जैन समाज से विदेशी वस्त्रों के त्याग का संकल्प कराया। तत्कालीन समाचार पत्रों के अनुसार आगरा, नजीबाबाद (बिजनौर), इटावा, लखनऊ, बनारस, मुरादाबाद, खेकड़ा (मेरठ), ललितपुर, सहारनपुर के जैन समाज ने विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार हेतु आन्दोलन चलाये और उनमें अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की।
जैन स्वयंसेवकों ने उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य प्रदेशों में जाकर भी इस आन्दोलन में भाग लिया। अयोध्याप्रसाद गोयलीय (जैन) तथा जैनेन्द्रकुमार, जो इस आन्दोलन के दौरान दिल्ली में थे, ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लेकर जेल की यात्राएँ की।
__ भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के अंतिम एवं महत्वपूर्ण पड़ाव भारत छोड़ो आन्दोलन में भी देशवासियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ 17 अक्टूबर 1940 को व्यक्तिगत सत्याग्रह का प्रारम्भ कर दिया। इस सत्याग्रह का मूल उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के इस दावे को गलत साबित करना था कि भारत युद्ध की तैयारी में पूरी तरह मदद दे रहा है। उत्तरप्रदेश के जैन समाज के व्यक्तियों ने व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान बड़ी संख्या में सत्याग्रह करते हुए अपनी गिरफ्तारियाँ दी।
बम्बई में 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में 'भारत छोड़ो' आन्दोलन का अनुमोदन किया गया। इस प्रस्ताव के पास होते ही महात्मा गाँधी ने अपने भाषण में कहा-'मैं तुरन्त आजादी चाहता हूँ। आप सब लोगों को इसी क्षण से अपने को एक आजाद नागरिक समझना चाहिए और इस तरह कार्य करना चाहिए, जैसे आप आजाद हों।' महात्मा गाँधी ने देशवासियों को मंत्र दिया 'करो या मरो' । उन्होंने कहा कि अब हमें यह संकल्प करना है कि अब हम गुलामी में जिन्दा नहीं रहेंगे। हम या तो अब भारत को आजाद करेंगे या आजादी प्राप्त करने का, प्रयत्न करते हुए अपने प्राण त्याग देंगे। अंग्रेजी सरकार ने कांग्रेस के इस निर्णय को भांपते ही आनन-फानन में महात्मा गाँधी सहित सभी शीर्षस्थ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया और पूरे देश में सभी कांग्रेस संगठनों को गैर कानूनी घोषित कर दिया। देश में यह खबर फैलते ही जनता में व्यापक रोष उमड़ पड़ा। जगह-जगह नागरिकों ने सरकारी सम्पत्ति को नष्ट करना प्रारम्भ कर दिया। छात्र कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से निकल आये और विद्रोहात्मक गतिविधियों में शामिल हो गये।
214:: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान