Book Title: Bhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Author(s): Amit Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 192
________________ 10. जैन गजट 16 दिसम्बर, 1997, वर्ष 1Po 11. वही, 1 फरवरी 18 32. वही, 8 मार्च 15. वहीं 8 फरवरी 14. वहीं, 8 सितम्बर 野 Ceer reer r FREIF 3201 JESSE OF 08 अमोि फ्रिन्डी भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अन्य उपक्रमों में जैन समाज का योगदान 16. भारत में हिन्दी 17. तीर्थंकर 18. 19. 20. 21. आज स्वतन्त्रता आन्दोलन में जैन लेखकों की भूमिका Se 88 from as for re 82 भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान जैन समाज के प्रतिभावान लेखकों ने अपनी कलम के माध्यम से भारतीय जनता को जागृत करने में अहम् भूमिका निभाई। इन लेखकों की रचनायें अंग्रेजी सरकार को ललकारती थी और उनमें साम्राज्यवादी सरकार का चुनौतीपूर्ण विरोध किया जाता था। जैन लेखकों ने निबन्ध, कविता, कहानी, गद्य, काव्य, उपन्यास आदि साहित्य के सभी अंगों में देशभक्ति से ओतप्रोत लेखन कार्य किया । ' 30. उत्तर प्रदेश निवासी इन लेखकों में ऋषभचरण जैन, जैनेन्द्रकुमार, यशपाल जैन, अक्षयकुमार जैन, शांति स्वरूप जैन 'कुसुम', भगवत्स्वरूप जैन तथा आनन्दप्रकाश जैन प्रमुख हैं। इन लेखकों में से अधिकांश ने स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेने के कारण जेल यात्राएँ भी की, जिनका वर्णन पूर्व के अध्यायों में किया जा चुका है। इन जैन लेखकों की रचनाओं ने तत्कालीन समय में अपनी विशेष छाप छोड़ी। इन लेखकों ने सामाजिक कुरीतियों पर भी प्रहार किये । ऋषभचरण जैन ग्राम सराय सदर, जिला बुलंदशहर (वर्तमान नोएडा) में 1 जनवरी, 1911 को जन्में श्री जैन ने सन् 1925 में 'महारथी' में प्रकाशित 'मिट्टी के रुपये' नामक कहानी से साहित्य जगत में प्रवेश किया। उस समय भारत परतंत्र था तथा यहाँ के निवासी बड़ी संख्या में सामाजिक 190 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान 1801 20

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