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ब्रह्मचारी सीतल प्रसाद, अजितप्रसाद जैन, आ. जुगल किशोर मुख्तार आदि सुयोग्य सम्पादकों ने इस पत्र को अपनी लेखनी से जैन समाज का प्रमुख साप्ताहिक पत्र बनाया। 1903 में जैन गजट अंग्रेजी भाषा में निकलने लगा, जिसका सफल संचालन अजितप्रसाद जैन, लखनऊ ने किया 17
'जैन गजट' के अतिरिक्त संयुक्त प्रान्त से अनेक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हुआ । इन पत्रों ने तत्कालीन परिस्थितियों में देश सेवा का व्रत लेकर जैन समाज को आन्दोलन में भाग लेने को प्रेरित किया । देवबन्द (सहारनपुर) से जैन समाज के कई पत्र प्रकाशित होते थे। इन पत्रों में 1898 में प्रकाशित 'ज्ञानप्रकाशक', 1909 में जैन प्रकाशक, 1910 में 'नारी हितकारी', 1912 में पाक्षिक जैन प्रदीप, जैन प्रचारक, आदि प्रमुख थे।
आजादी के समस्त आन्दोलनों में ये पत्र सक्रिय रहे । आगरा के जैन पत्रों ने भी आजादी की लड़ाई में अपना अमूल्य सहयोग दिया । इन पत्र-पत्रिकाओं में 1918 में प्रकाशित जैन पथ प्रदर्शक, जैसवाल जैन, श्वेताम्बर जैन, जाति
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जैन सम्पादक समूह (वीर संवत् 2440) 1. श्री नाथूराम प्रेमी (जैन हितैषी, मुम्बई), 2. शेठ पदमराज (जैन सिद्धान्त भास्कर, कलकत्ता), 3. दिग्विजय सिंह (जैन तत्त्वप्रकाशक, इटावा), 4. ब्र. शीतलप्रसाद (जैन मित्र, लखनऊ),
5. बा. अजितप्रसाद (जैन गजट, लखनऊ), 6. मूलचन्द किसनदास कापडीआ (दिगम्बर जैन, सूरत), 7. ए. बी. लट्ठे (प्रगति जिनविजय, कोल्हापुर), 8. बा. ज्योतिप्रसाद (जैन प्रदीप, देवबन्द), 9. पं. उदयलाल, 10. आर. आर. बोबडे
( वन्दे जिनवरम् ), 11. वैद्य जिनेश्वरदास (भारत नारी हितकारी, मैनपुरी), 12. वैद्य शंकरलाल (वैद्य, मुरादाबाद), 13. मी. रणदिवे (सुमति, वर्धा)
प्रबोधक, वीर संदेश, जैन संदेश, वीर भारत आदि प्रमुख हैं
1898 में सहारनपुर से जैन हितोपदेशक, 1913 में इटावा से 'जैन तत्व प्रकाशक' तथा 1918 में 'सत्योदय' का प्रकाशन हुआ। वाराणसी से 1921 में
भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में जैन पत्र-पत्रिकाओं की भूमिका :: 159