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झण्डियों के बन्दरबार लटकाये तथा बिजली की रोशनी से 'सायमन लौट जाओ' का प्रदर्शन किया।
Bा स्वदेशी प्रचार में भी 'वीर संदेश' ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसने लिखा-महात्मा गाँधी का आदेश है कि प्रत्येक देशाभिमानी अपने घर, बाहर पड़ोसियों
और नगरवासियों सबको खद्दर धारण करायें। कौंसिल में काम करने वाले लोग सरकारी कारोबार में खद्दर का उपयोग करायें। देशी सौदागरों से विदेशी वस्त्र खरीदवाना बिल्कुल बन्द करा दें और इसके लिए द्वारावरोध (पिकेटिंग) किया जाये। पत्र ने लिखा कि यदि देश के प्रेमीजन अपने सर्वमान्य नेताओं के इन उपदेशों का यथावत आचरण करें और नीचे से ऊपर तक स्वदेशी मय हो जायें, तो दुःखी भारत की यह लौह श्रृंखलाएं अधिक काल तक टिकी नहीं रह सकती। इसी प्रकार अन्य विषयों पर भी 'वीर संदेश' ने अनेक लेख प्रकाशित किये।
आगरा से ही प्रकाशित होनेवाले 'श्वेताम्बर जैन, हिन्दुस्तान समाचार' आदि पत्रों ने भी स्वतंत्रता आन्दोलन का बिगुल बजाया। श्वेताम्बर जैन का प्रकाशन सन् 1925 में प्रारम्भ हो गया था। इस पत्र ने देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। पत्र में प्रकाशित टिप्पणियों से अंग्रेजी सरकार विचलित हो गयी, फलस्वरूप यू.पी. सरकार ने नये ऑर्डिनेंस के अनुसार इस साप्ताहिक पत्र और प्रेस से एक-एक हजार की जमानतें मांगी। ऐसी परिस्थिति पत्र के सामने आती रहती थी, परन्तु कुछ समय विश्राम लेने के बाद 'श्वेताम्बर जैन' फिर काम करना शुरू कर देता था। आज भी यह पत्र आगरा से निरंतर प्रकाशित हो रहा है। आ आगरा के बाबू कपूरचंद जैन ने अपने कई पत्रों के माध्यम से देश सेवा में भाग लिया। कपूरचंद जैन के पूरे परिवार ने देश सेवा में हाथ बँटाया। श्री जैन की पत्नी श्रीमती कस्तूरीदेवी जैन तथा पुत्री कु. कंचनबाई पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन में तो मदद करती ही थीं, साथ ही स्वदेशी प्रचार में भी वे सदैव अग्रणीय रही। 'दिगम्बर जैन' पत्रिका ने अपने तत्कालीन अंक में लिखा कि कस्तूरी देवी जैन पर्दे की प्रथा को तोड़कर देश सेवा में खूब कार्य कर रही श्रीमती कस्तूरीदेवी जैन
कु.कंचन बाई
180 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान