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पूरी व्यवस्था की जायेगी
और चर्खा आदि उपयोगी कार्य सिखाया जायेगा।
'जैन मित्र' भी समय-समय पर धनवानों को प्रेरित करता रहता था। 'जैन सेठों को देश
वीर रस प्रधान सचित्र साहित्यिक मासिक पत्र) सेवा का सुअवसर' शीर्षक से प्रकाशित एक समाचार के अंतर्गत
जाग्रत जग-मग हो उठे, जिस से फिर यह देश । उसने लिखा-महात्मा
सुना रही उन्नति-उषा, वही “वीर-सन्देश" ॥ गाँधी का सत्याग्रह संग्राम जोरों पर चल रहा है
भाग १ आगरा-पौष शुक्ला २ सं० १९८३-वीरसं० २४५३१ और खूबी यह है कि इस संग्राम का एकमात्र
लाज हिन्दुआने की। अमोध अस्त्र जैन धर्म
[लेखक-श्री० अमृतलाल जी चतुर्वेदी ] का प्रमुख सिद्धांत
जान कुरवान मुरु गोविन्द ईमान कारी, 'अहिंसा धर्म' है। बस,
ज्ञात है हकीकत हकीकत घराने की। यह संग्राम क्या है? अमृत चौहान ने सुजीत जुद्ध सत्रै बेर, अहिंसा धर्म का अपूर्व
गरद उड़ाई गोरी मरद जनाने की। प्रचार है। इसलिए आज कव्वर लिटाई काट कटक अकव्वर की, जैनी बड़ी संख्या में इस
कीरत अमर है प्रताप मरदाने की। अहिंसा संग्राम में भाग
जंग के औरंग संग भंग सब रंग क्रिये, ले रहे हैं। जो जैन सेठ
शेर शिवराज रखी लाज हिन्दुआने की। जिस्मानी दिक्कतें उठाने को तैयार नहीं हैं, उन्हें 'वीर संदेश' ने भी देशभक्ति का संदेश दिया चाहिए कि वे स्वदेशी वस्त्रों का प्रचार करायें और गिरफ्तार हुए जैन स्वयंसेवकों के कुटुम्बी जनों की सेवा करें। जैन जेल यात्रियों की सहायतार्थ जैन सेठों को एक सहायक फण्ड स्थापित करना चाहिए, जिससे गुप्त या प्रगट रूप से स्वयं सेवकों की मदद की जा सके। जैन जमींदारों को ईमानदारी और नेक नीयती से अपनी आसामियों के साथ व्यवहार करना चाहिए। सारांशतः इस स्वर्ण अवसर को अपने हाथ से नहीं निकालना चाहिए।मिकाका लवानिक
178 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान