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भी सरकार विरोधी भाषण दिया। सम्मेलन के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। श्री जैन को 1 वर्ष कैद और 200 रुपये जुर्माने की सजा हुई। भारत छोड़ो आन्दोलन में उन्होंने अपने जनपद सहारनपुर में अंग्रेजों का सख्त विरोध किया। फलस्वरूप उन्हें पुनः गिरफ्तार कर लिया गया। उ.प्र. सूचना विभाग के अनुसार श्री जैन ने इस आन्दोलन के दौरान 2 साल 6 महीने जेल तथा 250 रुपये जुर्माने की सजा पायी।16
अजितप्रसाद जैन जब सहारनपुर जेल में बंद थे, उसी दौरान 30 अगस्त, 1942 को जिला कलक्टर एल.जी. लायड ने कारागार का भ्रमण किया। कलक्टर को देखकर देशभक्तों ने अंग्रेजी सरकार विरोधी नारे लगाने प्रारम्भ कर दिये। लायड इस बात पर बहुत नाराज हो गया और उसने बंदियों पर लाठी चार्ज करवा दिया। इस लाठीचार्ज में अन्य कैदियों के साथ अजितप्रसाद जैन भी घायल हो गये।
रूपचंद जैन सहारनपुर ने भी इस आन्दोलन में कांग्रेस के एक सक्रिय सिपाही के रूप में कार्य किया। सहारनपुर संदर्भ ग्रंथ के सम्पादक को दिये गये एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था-'मैंने और हमारे साथियों ने तार काटने, इमारतें तथा डाकखाना आदि जलाने का काम किया। मनानी स्टेशन को आग लगा दी। उस समय काशीराम, बनारसीदास और इन्द्रसेन (अम्बेहटा शेख) भी हमारे साथ थे। वहाँ से हम भाग गये। मैंने कांग्रेस की डाक का काम सम्भाल लिया। मैं डाक लेकर दिल्ली से आगरा गया। आगरे में मैंने डाक विलायतीराम को दे दी। उन्होंने मुझे 1200 रुपये
और कुछ सामान अम्बाला पहुँचाने के लिए दिया। मैंने वह सामान अम्बाला पहुंचा दिया। वहाँ से मुझे एक पिस्तौल और दो कैंचियाँ दिल्ली कांग्रेस कमेटी में देने को दी गयी। अम्बाला से मैं सहारनपुर आया और सिनेमा देख रहा था, तभी सी.आई. डी. इंस्पेक्टर तनखा साहब ने इंटरवल में मेरे कन्धे पर हाथ रखकर कहा. 'मैं नौजवानों को गिरफ्तार करना नहीं चाहता। तुम मेरा स्टेशन तुरन्त खाली कर दो।' वहाँ से मैं पैदल नागल आया और वहाँ से दिल्ली पहुँचकर सामान ऑफिस में जमनादास कायस्थ को सौंप दिया। उनका सामान और रुपये लेकर आगरा गया। आगरा से फिर 1200 रुपये और डाक गंगापुर सिटी के लिए लेकर चला, परन्तु बाहर निकलते ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मुझ पर 1200 रुपये जुर्माना किया गया
और मैं साढ़े चार महीने जेल में रहा। मेरे थैले में रखे 1230 रुपये भी पुलिस ने ले लिये।।।7
____ 12 अगस्त सन् 1942 को शांतिस्वरूप जैन 'कुसुम' ने सहारनपुर से सरसावा जानेवाली सड़क पर स्थित रेलवे स्टेशन के निकट टेलीफोन खम्भे पर चढ़कर टेलीफोन के तार काट दिये। पुलिस उनकी इस गतिविधि पर नजर रख रही थी, जैसे ही श्री कुसुम तार काटकर खम्भे से नीचे उतरे, तभी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर
भारत छोड़ो आन्दोलन में जैन समाज का योगदान :: 143