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ओमप्रकाश जैन ने 'अखिल भारतीय नौजवान सभा' के श्रमिक विभाग के मंत्री पद पर रहकर सहारनपुर में नवचेतना का संचार किया। 23 रामपुर मनिहारन निवासी हुलासचन्द जैन भी इस आन्दोलन में सक्रिय रहे, उन्हें काफी दिन जेल में विश्राम करना पड़ा। देवबन्द निवासी नरेन्द्रकुमार जैन भी इस आन्दोलन में भाग लेने के कारण जेल गये।।24
बिजनौर जनपद में 9 अगस्त 1942 को आन्दोलन का प्रारम्भ होते ही अंग्रेजी सरकार का विरोध तेज हो गया। पुलिस ने कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी प्रारम्भ कर दी तथा 9 अगस्त को ही पुलिस ने जिला कांग्रेस कार्यालय पर छापा मारकर सारी सामग्री बरामद कर ली। 12 अगस्त 1942 को स्थानीय छात्रों ने विशाल जुलूस निकालकर सरकार का विरोध किया। जुलूस ने पुलिस थानों, तहसील बिल्डिंग और सरकारी ऑफिसों में घुसकर तोड़-फोड़ की।25
__बिजनौर जिले के नूरपुर थाने पर कई हजार की भीड़ ने जबरदस्त हमला किया। जिले का माहौल पूर्ण रूप से स्वतंत्रता आन्दोलन के रंग में रंग चुका था। बिजनौर के जैन समाज ने भी इस आन्दोलन में अपनी भागीदारी की। रतनलाल जैन 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेकर 8 महीने नजरबंद रहे थे। उन्हें आगरा के जेल में रखा गया।भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ होते ही उन्हें सरकार ने फिर गिरफ्तार कर लिया और 18 महीने तक जेल में रखा। श्री जैन बिजनौर की जेल में रखे गये। जेल में रहते हुए वे बराबर गुप्त रूप से स्थानीय कार्यकर्ताओं को आवश्यक निर्देश देते रहते थे। 1943 के अंत में जब वे छूटकर जेल लौटे तो स्थानीय कार्यकर्ता उन्हें एक जुलूस के रूप में कारागार से लाये। जुलूस 'भारत माता की जय' तथा 'महात्मा गाँधी की जयकार' से गूंज रहा था। रतनलाल जैन जेल से आने के बाद पुनः आन्दोलन के कार्य में लग गये।
नेमीशरण जैन ने अपनी मंडली के साथ इस आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया। फलस्वरूप पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। श्री जैन को 18 महीने कैद हुई। उनकी माता दुर्गादेवी जैन तथा धर्मपत्नी श्रीमती शीलवती देवी ने इस आन्दोलन के दौरान अप्रत्यक्ष रूप से देश की सेवा की।
धामपुर में प्यारेलाल जैन के पुत्र महावीरप्रसाद जैन ने राष्ट्रीय आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण भागीदारी की। श्री जैन को व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने के कारण 1 साल जेल में रखा गया। भारत छोड़ो आन्दोलन में वे 4 महीने जेल में रहे और उन पर 200 रुपये का जुर्माना किया गया। 27 नजीबाबाद के साहू श्रेयांसप्रसाद जैन ने अपने परिवार एवं उद्योगों की परवाह न करके भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया। सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तथा 2 माह लाहौर जेल में रखा। जेल में उन्होंने अनशन किया तथा जेल से छुटने के बाद प्रत्यक्ष
भारत छोड़ो आन्दोलन में जैन समाज का योगदान :: 145