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निभाई। अंत में सरकार ने घेराबंदी करके उन्हें फिरोजाबाद में गिरफ्तार कर लिया। रामस्वरूप जैन क्रांतिकारी मण्डल के मंत्री थे। उ.प्र. सूचना विभाग के अनुसार श्री जैन सन् 1942 से 1944 तक नजरबंद रखे गये। थाना कुरावली मैनपुरी निवासी देशदीपक जैन ने भी इस आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया। सन् 1942 में उन्होंने पुलिस से छिपकर सरकारी कार्यों में बाधा पहुंचाने का कार्य किया। सन् 1943 में पुलिस ने श्री जैन को गिरफ्तार कर लिया तथा 14 महीने कड़ी कैद और 100 रुपये जुर्माने की सजा दी। देश दीपक जैन के साथी दरबारीलाल जैन भी पकड़े गये और उन्हें एक वर्ष का कठिन कारावास और 500 रुपये का आर्थिक दण्ड दिया गया।" बाबूराम जैन मैनपुरी ने इस आन्दोलन के दौरान दो बार जेल यात्रा की। उनके सहयोग से जिले में इस आन्दोलन को गति मिली।
मुरादाबाद में 9 अगस्त 1942 को जिले के प्रमुख नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के विरोध में जनता ने जुलूस निकाले और तोड़फोड़ की कई घटनायें भी अंजाम दी गयी। 10 अगस्त को जिले के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस कप्तान ने हथियार बंद जत्थे के साथ गश्त निकाली। यह सरकारी काफिला जैसे ही मौहल्ला दरीबापान पहुंचा तो उसने वहाँ से लेकर मंडी चौक तक लोगों का जमाव देखा। भीड़ ने सारा बाजार बंद किया हुआ था। अधिकारियों ने भीड़ को तुरन्त हट जाने की चेतावनी दी, परन्तु जनता ने सरकार विरोधी नारे लगाने प्रारम्भ कर दिये। इससे अंग्रेजी सेना तिलमिला गयी और उसने गोली चलानी शुरू कर दी। भागते हुए लोगों पर भी गोली चलाई गयी। इस गोली कांड में 200 व्यक्ति घायल हो गये और 3 नागरिक शहीद हो गये। इसके बाद पुलिस ने गिरफ्तारियों का दौर पुनः प्रारम्भ कर दिया।
मुरादाबाद के जैन समाज ने इस वातावरण में भी साहस का परिचय देते हुए देश के लिए कार्य किया। केशवशरण जैन ने अपने साथियों के साथ स्थानीय कोर्ट में जाकर राष्ट्रीय ध्वज फहरा दिया। ध्वजारोहण के बाद उन्होंने एकत्रित जन समूह को सम्बोधित करते हुए 'करो या मरो' का अनुसरण करने को प्रेरित किया। श्री जैन को कोर्ट परिसर में ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उ.प्र. सूचना विभाग के अनुसार उन्हें 1 वर्ष कड़ी कैद और 50 रुपये जुर्माने की सजा दी गयी।
___ चन्दौसी (मुरादाबाद) निवासी रतनलाल जैन पुत्र भोलानाथ जैन ने भी इस आन्दोलन में अपना सहयोग दिया। उ.प्र. सूचना विभाग के अनुसार उन्होंने व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेने के कारण भी 250 रुपये जुर्माने की सजा पायी थी। सिपाहीलाल जैन ने पुलिस से छिपकर आन्दोलन के लिए कार्य किया। उन्होंने लगभग 50 गाँवों के मंडल प्रधान के तौर पर ग्रामीणों के बीच जाकर भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने को उन्हें प्रेरित किया। व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी उन्होंने
भारत छोड़ो आन्दोलन में जैन समाज का योगदान :: 137