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से दूसरे स्थान पर पहुँचाकर आन्दोलनकारियों का मनोबल बढ़ाया तथा उन्हें आन्दोलन की गतिविधियों से अवगत कराया। आगरा की तहसील किरावली के ग्राम पुरमाना के साहसी और कर्मठ युवा बाबूलाल जैन पुत्र चन्दनलाल जैन ने इस आन्दोलन में अपनी सक्रिय भागीदारी की। श्री जैन इस आन्दोलन के दौरान लम्बे समय तक जेल में रहे। धूलिया गंज आगरा निवासी मास्टर राम सिंह जैन ने भी इस आन्दोलन में सहयोग दिया। श्री जैन को जेल नहीं भेजा गया। उन्होंने बाहर रहकर एक कार्यकर्ता के रूप में समर्पित होकर कार्य किया।
___ ग्राम लड़ावना (आगरा) निवासी श्यामलाल जैन (सत्यार्थी) ने 'अगस्त क्रांति' में सक्रिय भाग लिया। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और काफी समय जेल में रखा। फिरोजाबाद (आगरा) के बाबू मानिकचंद जैन भी इस आन्दोलन में भाग लेने के कारण जेल गये। इस प्रकार आगरा जैन समाज ने इस आन्दोलन में बड़ी संख्या में सम्मिलित होकर अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
एटा, मैनपुरी, मुरादाबाद, फर्रुखाबाद और इटावा जिलों में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान जैन समाज ने सक्रिय होकर कार्य किया।
एटा में 14 अगस्त 1942 को कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने सरकार विरोधी एक बड़ा जुलूस निकाला। पुलिस ने बाबूराम साबुन वाले की दुकान के सामने जुलूस को रोकने का प्रयास किया, परन्तु कार्यकर्ताओं ने पुलिस की परवाह न करते हुए जुलूस चालू रखा। क्रोधित होकर पुलिस ने लाठीचार्ज करना प्रारम्भ कर दिया। उस समय स्वयंसेवकों की संख्या अधिक थी और सरकारी तंत्र कम था, अतः जनता पुलिस पर टूट पड़ी और उसने पुलिस को खदेड़ दिया। पुलिस को मैदान छोड़कर भागना पड़ा। इस घटना के बाद जलस पुनः नारे लगाते हुए आगे बढ़ गया। रास्ते में जनता ने सरकारी लैटरबॉक्स, टेलीफोन के तार एवं खम्भे उखाड़ दिये। इसके पश्चात् जुलूस काली नदी पर बने रेलवे पुल के पास पहुँचा और उसने रेल की लाइनों पर पत्थरों के ढेर जमा करने शुरू कर दिये। उसी समय आगरा से आने वाली एक ट्रेन पर जनता ने धावा बोल दिया। ट्रेन के कई डिब्बों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया गया। इसी घटना के दौरान अंग्रेजी पुलिस चार-पाँच ट्रकों में सवार होकर वहाँ पहुँची और उसने भीड़ को पीछे खदेड़ा। पुलिस ने लाठीचार्ज प्रारम्भ कर दिया और उसके बाद कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया गया।
एटा में जैन समाज के युवकों ने भी इस आन्दोलन में अपना सहयोग दिया। जिला कारागार एटा के अधीक्षक द्वारा जारी प्रमाण-पत्र के अनुसार सन्तकुमार जैन पुत्र गुरूदयाल जैन (निवासी-आवागढ़ जलेसर, एटा) ने व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान दिनांक 09.04.1941 में 8 माह कैद और 100 रुपये जुर्माने की सजा पायी थी। भारत छोड़ो आन्दोलन में जुलूस के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और
भारत छोड़ो आन्दोलन में जैन समाज का योगदान :: 135