Book Title: Bhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Author(s): Amit Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 132
________________ गयी। पुलिस ने तुरंत वहाँ पहुंचकर कागारौल और उससे लगे हुए गाँव सौनिगा को घेर लिया। ग्रामीण लोगों को बुरी तरह पीटा गया और उन पर सामूहिक जुर्माना किया गया। कागारौल पर तीन हजार तथा सौनिगा पर एक हजार रुपये का जुर्माना थोपा गया। डाक बंगले को जलाने में जैन युवकों ने भी भाग लिया था, अतः शीघ्र ही पुलिस ने इन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। फिरोजाबाद आगरा निवासी 2 सगे भाई सन्तलाल जैन व बसंतलाल जैन तथा रामबाबू जैन, राजकुमार जैन, धनपति सिंह जैन एवं गांव जोतराज बसैया आगरा निवासी नेमीचन्द जैन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ___ 'जैन संदेश' (राष्ट्रीय अंक) के अनुसार सन्तलाल जैन को सरकार द्वारा डाक बंगला जलाने के अपराध में पकड़कर सर्वप्रथम छोटी जेल भेजा गया, परन्तु उन पर केस साबित न होने के कारण उन्हें नजरबंद कर दिया गया। मई 1943 को सरकार ने इस शर्त पर उन्हें रिहा किया कि वे नियमित रूप से थाने में हाजिरी दिया करें, परन्तु सन्तलाल जैन ने इस सरकारी आज्ञा को नहीं माना, जिसके कारण कुछ ही दिन बाद सरकार ने उन्हें पुनः नजरबन्द कर लिया तथा उसके बाद अक्टूबर 1946 में ही छोड़ा। बसंतलाल जैन, रामबाबू जैन तथा राजकुमार जैन के साथ भी पुलिस ने सन्तलाल जैन जैसा व्यवहार किया। धनपतिसिंह जैन को सरकार ने डाकबंगला अग्निकाण्ड का लीडर मान कर गिरफ्तार किया। उन्हें काफी यातनायें दी गयी और 1 वर्ष तक जेल में रखा गया। नेमीचंद जैन के विषय में 'जैन संदेश' लिखता है कि श्री जैन को डाकबंगला जलाने के आरोप में 2 साल तक नजरबंद रखा गया। इस प्रकार सरकारी सम्पत्ति को नष्ट करने के कारण इन युवकों ने सजाएं पायी। आगरा के रोक्सी सिनेमा में बम रखने के अपराध में निर्मलकुमार जैन को गिरफ्तार कर लिया गया तथा उन्हें जेल में गहरी यातनायें दी गयी। जगह-जगह टेलीफोन के तार काटे गये। इन गतिविधियों में भी जैन समाज ने हाथ बंटाया। पीतमचन्द जैन, श्यामलाल जैन रायभा, बंगालीमल जैन, रामस्वरूप जैन 'भारतीय', पन्नालाल जैन 'सरल', गुलजारीलाल जैन आदि कार्यकर्ताओं की इस कार्य में भागीदारी रही। पीतमचन्द जैन आगरा के रायभा इलाके में टेलीफोन तार काटते हुए पकड़े गये। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तथा कई माह तक नजरबन्द रखा। श्यामलाल जैन ने भी इस कार्य में भाग लेने के कारण जेल यात्रा की। उ.प्र. सूचना विभाग के अनुसार श्री जैन 25 सितम्बर, 1942 को धारा 29 के अंतर्गत पकड़े गये थे। जेल में उन्हें लकवा मार जाने के कारण बहुत कष्ट उठाना पड़ा।” बंगालीमल 130 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान

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