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लड़ रहे हैं।' इस चुनाव में सेठ अचलसिंह भारी मतों से विजयी हुए।
जिला एटा में नमक सत्याग्रह का प्रारम्भ कासगंज में नमक कानून तोड़कर किया गया। एटा की सब्जी मंडी में नमक बनाते समय लगभग 60-70 सत्याग्रहियों पर अंग्रेज कप्तान और पुलिस ने अत्याचार किये और उन्हें बुरी तरह पीटा गया।" इन आन्दोलनों में एटा जैन समाज ने भी भाग लिया। गुलजारीलाल जैन, नाथूमल जैन, प्रेमचन्द जैन, जीवाराम जैन आदि ने जेल यात्रायें की। सूचना विभाग उ.प्र. के अनुसार गुलजारीलाल पुत्र मुरलीधर जैन ने इस आन्दोलन के दौरान सन् 1930 में 3 मास कैद की सजा पायी। इसी प्रकार नाथूमल जैन ने भी अत्यंत सक्रियता पूर्वक आन्दोलन में भाग लिया। स्वतंत्रता संग्राम के सैनिक में उल्लेख मिलता है कि नाथूमल जैन पुत्र रतीराम जैन कासगंज एटा को इस आन्दोलन के दौरान सन् 1932 में 6 मास कैद और 10 रुपये जुर्माने की सजा मिली।
जिला मैनपुरी में सन् 1930 के आन्दोलन के दौरान अनेक स्थानों पर नमक कानून तोड़कर नमक बनाया गया। मद्यनिषेध के कार्यक्रम के अंतर्गत कलक्टर द्वारा किया जाने वाला शराब व ताड़ी के ठेके का नीलाम रुकवाने के उद्देश्य से धरना व प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शन पर जिला पुलिस कप्तान ने गहरा लाठीचार्ज करवाया, जिससे कई लोगों को चोटें आयी।”
जैन समाज ने इन आन्दोलनों में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। तत्कालीन समाचार पत्र ‘जैन-मित्र' के अनुसार-मैनपुरी में संतलाल जैन की गिरफ्तारी हुई है। यहाँ की जैन जनता सत्याग्रह में खूब काम कर रही है। जैन वीरों का एक जत्था ‘सोरो' (एटा) गया है। यहाँ पर फत्तूलाल जैन तथा सेवाराम जैन कांग्रेस के मुख्य कार्यकर्ताओं में हैं। अभी 11 जैन स्वयं सेवक कांग्रेस में कार्य कर रहे हैं। जैन स्वयंसेवकों के जेल जाने के समाचार 'जैन मित्र' में छपते रहते थे। एक समाचार के अनुसार-मैनपुरी में कांग्रेस के कार्यकर्ता सेवाराम जैन तथा संतलाल जैन को गिरफ्तार किया गया। एक अन्य समाचार था-मैनपुरी में युगमंदरदास जैन 1 माह की सजा भोग कर आये हैं, मालूम हुआ है कि फिर से जाने की तैयारी हो रही है।5।
मैनपुरी के जैन युवक संघ ने भी आजादी के महायज्ञ में अपनी आहुती दी। 'जैन मित्र' में प्रकाशित संघ का एक समाचार ही उसकी सक्रियता को बताने में समर्थ है। समाचार के अनुसार-मैनपुरी के जैन युवक संघ की ओर से पन्नालाल जैन जसवन्तनगर के सभापतित्व में एक विशाल सभा हुई, जिसमें निम्नलिखित प्रस्ताव पास किये गये-1. जुगमंदरदास जैन (सेठिया) के सत्याग्रही जत्थे के साथ जेल जाने के उपलक्ष्य में बधाई दी गई। 2. जैन लोग मंदिर में देशी वस्त्र पहनकर ही आयें। 3. अगर एक हफ्ते तक मंदिर में लोग स्वदेशी वस्त्र पहनकर न आये, तो धरना प्रारम्भ किया जाये।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन और जैन समाज :: 99