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मनोहरलाल जैन (पुत्र फूलचन्द जैन), ऋषभकुमार जैन (पुत्र बाबूराम जैन), पंचमलाल जैन ( फर्म के खजांची), चन्द्रिकाप्रसाद ( पहलवान व फर्म कर्मचारी) को गिरफ्तार कर लिया। नन्हूमल ज्योतिप्रसाद फर्म के मालिक नारायणदास जैन जो किसी कार्यवश फूलचन्द जैन से मिलने आये थे, उन्हें भी फौज ने गिरफ्तार कर लिया। सभी को फतेहगढ़ जेल भेज दिया गया ।
फूलचन्द जैन के परिवार ने इस आन्दोलन में पूर्ण समर्पण के साथ कार्य किया। सन् 1932 में कानपुर - देहरादून षड्यंत्र केस के सम्बन्ध में भी सरकार ने उनके परिवार पर अत्याचार किये । सरकार ने उनके नये निवास 'लक्ष्मण भवन' पर अधिकार कर लिया तथा सभी सदस्यों को सामान सहित बाहर निकाल दिया । उनके मकान में अंग्रेजी सरकार ने कोतवाली कायम कर दी और फूलचंद जैन व ऋषभकुमार जैन को पुनः गिरफ्तार कर लिया । 150
कानपुर निवासी वैद्य कन्हैयालाल जैन ने भी परिवार सहित इस आन्दोलन में भाग लेकर जेल की यात्रायें की । उ. प्र. सूचना विभाग के अनुसार श्री जैन ने सन् 1930 के आन्दोलन से सम्बद्ध रहने के कारण 6 मास की कड़ी कैद की सजा पायी थी (51 कन्हैयालाल जैन की भाँति ही उनकी धर्मपत्नी गहनादेवी जैन ने भी आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया । 'जैन संदेश' के अनुसार - सन् 1931 के आन्दोलन में जब कांग्रेस जनपद में कमजोर थी और कानपुर में उ.प्र. कांग्रेस का जलसा बाबू पुरुषोत्तमदास टंडन के सभापतित्व में हुआ, तो उसकी स्वागताध्यक्षा बनने के कारण श्रीमती जैन को 6 माह की जेल हुई। 152 उ. प्र. सरकार के सूचना विभाग के अनुसार - गहनादेवी जैन धर्मपत्नी कन्हैयालाल जैन ने सन् 1932 के आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण 6 मास कड़ी कैद और 250 रुपये जुर्माना की सजा पायी। 153 कानपुर के जैन मंदिरों में स्वदेशी प्रचार करने में भी जैन समाज ने सक्रिय भाग लिया ।
देहरादून जिले में जैन समाज की संख्या कम होने के बाद भी यहाँ के कुछ जैन स्वयंसेवकों ने इस आन्दोलन में भाग लिया। सूचना विभाग उ.प्र. के अनुसार महाराजप्रसाद जैन निवासी चकरौता देहरादून ने नमक सत्याग्रह में 1930 में तीन महीने की सजा पायी और उन पर 25 रुपये जुर्माना किया गया । इसी प्रकार मित्र सेन जैन 'वैद्य' ने भी आजादी के इस आन्दोलन में सक्रियतापूर्वक भाग लिया । सूचना विभाग के अनुसार श्री जैन ने नमक सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने के कारण 1930 में छः मास कैद और 50 रुपया जुर्माने की सजा पायी । 154
देहरादून के पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र में भी इस आन्दोलन के दौरान एक जैन बन्धु के जेल जाने का प्रमाण मिलता है। सूचना विभाग उत्तर प्रदेश के अनुसार सुन्दरलाल जैन पुत्र उमरीलाल निवासी श्रीनगर कटलस्यूं, पौड़ी गढ़वाल को नमक सत्याग्रह
सविनय अवज्ञा आन्दोलन और जैन समाज :: 113