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इस प्रकार मैनपुरी के जैन समाज ने तन-मन-धन से राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया। जैन युवकों का उत्साह इतना अधिक था कि वे दिन-रात देश के कार्यों में ही लगे रहते थे। इन्हीं देश प्रेमियों में गुणधरलाल जैन का नाम भी उल्लेखनीय है, जिन्होंने अपने परिवार की परवाह किये बिना राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया और जेल की यात्रायें की। श्री जैन का उल्लेख करते हुए ‘जैन संदेश' का राष्ट्रीय अंक लिखता है कि गुणधरलाल जैन सन् 1929 से कांग्रेस में काम करते रहे। नमक
आंदोलन में उन्होंने एक वर्ष का कठिन कारावास भुगता, गाँधी इरबिन पैक्ट के " अंतर्गत वे छूट कर घर आ गये। उस समय इनके बच्चे बहुत छोटे थे। इनके घर में पिता के अतिरिक्त कोई कमाने वाला नहीं था, फिर भी वे सबकी उपेक्षा करते हुए अपने हृदय के उठते हुए उद्गारों को न रोक सके। इस पर भी सरकार ने इन पर 100 रुपये जुर्माना और कर दिया, जो कि इनकी स्थिति के बाहर की चीज थी। इसी बीच इनके पिता पर काफी कर्जा बढ़ गया और विवश होकर उन्हें अपना एकमात्र मकान भी बेचना पड़ा।
मुरादाबाद जिले में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान नमक बनाया गया, जिसमें मुंशी गेंदनलाल जैन ने सक्रिय भाग लिया। सूचना विभाग के अनुसार -गेंदन लाल ‘मुंशी' पुत्र ज्वालाप्रसाद ने नमक सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान सन् 1930 में 6 मास कड़ी कैद की सजा पायी ।88 'दिगम्बर जैन' पत्रिका में प्रकाशित समाचार के अनुसार-मुंशी गेंदनलाल जैन उर्दू भाषा के कवि, साहसी सुधारक और स्थानीय कांग्रेस के उत्साही कार्यकर्ता हैं। मुरादाबाद में जागृति उत्पन्न करने वाले वे एक प्रभावक व्याख्याता हैं। दफा 144 को भंग करने पर उन्हें 6 महीने की कठिन सजा हुई है। 'जैन संदेश' के अनुसार 1931 में श्री जैन जेल गये, वे जेल में ही बीमार हो गये। 6 मास का कठिन कारावास भोग कर जब श्री जैन बाहर आये, तो उन्होंने घर की चाहरदीवारी में चारपाई की शरण ली और भयंकर रोग यन्त्रणा से पीड़ित होकर केवल 41 वर्ष की अवस्था में ही इस संसार को छोड़कर चले गये।90
मुरादाबाद में गंगादेवी जैन ने महिलाओं को इस आंदोलन में सक्रिय किया तथा स्वयं भी जेल की यात्रा की। 'दिगम्बर जैन' पत्रिका में उनका उल्लेख करते हुए कहा गया है कि-श्रीमती जैन एक श्रीमान
गंगादेवी
100 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान