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में हिस्सा लेती रही हैं। अपनी कृति 'विमल प्रसाद जैन' में उन्होंने लिखा है, 'इन्होंने (विमल जी ने) क्रांतिकारी आन्दोलन में पूर्ण रूप से भाग लेना आरम्भ कर दिया। उस समय असेम्बली में बम फेकने की एक योजना बनी। इसके लिए प्रवेश पत्रों की जरूरत थी। उसका सारा इन्तजाम विमल जी ने किया। कई दिनों तक दस-दस, पन्द्रह-पन्द्रह प्रवेश पत्र अलग-अलग नामों से जुटाते रहे और असेम्बली में जाकर किस स्थान पर बम फेंकना है, उसका नक्शा बनाते रहे।'
उन्होंने लिखा है कि असेम्बली में बम फेंकने के लिए भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के नाम तय हुए और उन दोनों का एक-एक फोटो कश्मीरी गेट के मशहूर फोटोग्राफर रामनाथ के यहाँ खिंचवाया गया। बम फेंकने के दिन विमल जी की जिम्मेदारी थी कि उनको असेम्बली में पहुँचाकर और अन्दर जाकर वे सब प्रवेश पत्र जिनके जरिये अन्दर प्रवेश किया गया, वापस लाकर जला दिये जायें। ऐसा ही किया गया। उसका परिणाम यह हआ कि पलिस को यह पता नहीं लग सका कि प्रवेश पत्र, जिससे उन्होंने प्रवेश किया था, किस-किस मेम्बर के जरिये दिये गये थे। वस्तुतः ये व्यक्ति थे सर हरीसिंह गौड़ और सर के.सी.रे ‘एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडिया' के चेयरमैन । विमलप्रसाद जैन को प्रवेश पत्र जलाने के पश्चात् सबसे जरूरी काम जो करना था, वह था कि दोनों क्रांतिकारियों के फोटो अखबार के दफ्तर तक पहुँचाना, जिससे यह घटना सचित्र प्रकाशित होकर पूरे देश में जनजागरण का कार्य कर सके। श्री जैन के पुत्र शिशिरकान्त जैन बताते हैं कि 'हिन्दुस्तान टाइम्स' का दफ्तर उस समय हमारे आवास खारी बावड़ी से दो फाग दूर नया बाजार में था। पिताजी ने फोटो बन्द लिफाफा 'हिन्दुस्तान टाइम्स' के सम्पादक साहनी साहब को इस चतुरता के साथ दिया कि उन्हें कुछ पूछताछ का मौका ही नहीं मिला और वे तुरन्त ही यह कहते हुए वहाँ से निकल लिये कि 'यह चीज आपके बहुत काम की है और जल्दी ही आपको इसकी बहुत सख्त जरूरत होगी।'30 असेम्बली में बम धमाके होते ही 'हिन्दुस्तान टाइम्स' ने उसी दिन दोपहर को अपना विशेष संस्करण निकाला।" इस संस्करण में फोटो तथा विस्तृत खबरों को देखकर पुलिस हैरान रह गयी और इसी फिराक में रही कि ये फोटो कहाँ से लाये गये हैं। इस प्रकार क्रांतिकारियों का यह उद्देश्य पूर्ण करने में कि घटना का प्रचार शीघ्र से शीघ्र पूरे भारत में फैले, विमलप्रसाद जैन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।
उत्तर प्रदेश जैन समाज ने यद्यपि स्वतंत्रता आन्दोलन में तन-मन-धन से पूर्ण सहयोग किया, परन्तु क्रांतिकारी गतिविधियों में निरन्तर कार्य करने वाले विमल प्रसाद जैन जैसे व्यक्तियों का उल्लेख कम ही प्राप्त होता है। दिल्ली षड्यंत्र केस' नाम से एक ऐतिहासिक मुकदमा चला था, जिसके मुख्य अभियुक्तों में उनका नाम सम्मिलित था। दिल्ली सरकार का गजेटियर विभाग लिखता है, 'विमलप्रसाद जैन
सविनय अवज्ञा आन्दोलन और जैन समाज :: 83