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साबुन इत्यादि भी देती रहती थी और बताती थी कि यह फैक्ट्री में बना है। इससे वह बहुत प्रसन्न होती थी। इस प्रकार विमलप्रसाद जैन के परिवार के सहयोग से यह फैक्ट्री चल रही थी और यहाँ से बमों का निर्माण करके क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा था। कम गुप्तचरों की रिपोर्ट के आधार पर 4 नवम्बर, 1930 में पुलिस ने इस फैक्ट्री पर छापा मारा और सब कमरों की तलाशी लेने के बाद पुलिस के अधिकारी बहुत हैरान रह गये कि वहाँ कोई विस्फोटक सामान नहीं था। विमलप्रसाद जैन ने पुलिस कार्यवाही की भनक लगते ही बम फैक्ट्री को अपने मित्र तथा क्रांतिकारी कपूरचन्द्र जैन के मकान के भूमितल स्टोर में पहाड़वाली गली में हस्तांतरित कर दिया था। पुलिस पर बहुत अधिक दबाव था कि बम फैक्ट्री तथा उसके संचालकों को गिरफ्तार किया जाये। कोतवाली पुलिस ने एफ.आई.आर. नं. 412, थाना कोतवाली, दिनांक 04.11.1930 को आर्स एक्ट के अंतर्गत कपूरचंद जैन पुत्र मन्नूलाल जैन, 2714 गली पहाड़वाली, चौक रायजी, धर्मपुरा दिल्ली पर छापा मारकर भूमितल से झण्डेवाला बम फैक्ट्री की विस्फोटक सामग्री बरामद कर ली और कपूरचंद जैन को तुरन्त गिरफ्तार कर लिया गया।
अंग्रेजी पुलिस के हाथों जमादारनी अशरफी देवी भी लग गयी, जो वहाँ साफ-सफाई हीचिला गरजगह पर करने आती थी। पुलिस ने उससे जाँच पड़ताल सन बामनवा कायही नामों निमहोत की कि फैक्ट्री में क्या होता था, कौन रहता था, कौन आता था। अशरफी ने कहा, कुछ दिन
श्रीविभय दान्तिकारी पहले सब बाबू लोग चले गये हैं, इससे ज्यादा RUमबार तो मैं कुछ नही जानती। हाँ मुझे कभी-कभीची रिसाल सिंह प्रेस यहाँ रहने वाली बहन सुगंधित तेल, साबुन ओरामचन्द इत्यादि जो यहाँ बनता था, वह देती थी। पहारहा पुलिस ने उसे बहुत डांटा और कहा कि जन्म सच-सच बता कि यहाँ जो हजारों की संख्या
राज में बम रखे जाते थे, उन्हें कौन बनाता था और कौन लाता था व ले जाता था, परन्तु अशरफी तो इस सम्बन्ध में कुछ जानती ही नहीं थी। इसलिए पुलिस को निराशा ही हाथ लगी, परन्तु ज्यादा दबाव के कारण अशरफी ने कहा गांव सिसाना के मुख्य द्वार पर लगे कि यदि बाबू लोग मेरे सामने आये, तो मैं शिलापट्ट पर श्री विमलप्रसाद जैन का पहचान कर शायद कुछ बता सकू।
नाम प्रथम पंक्ति में दिया गया है।
माशाह का
सविनय अवज्ञा आन्दोलन और जैन समाज :: 85