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कलेक्टरों से मिला हूँ। वह इन बम फेंकनेवालों की बड़ी तारीफ करते हैं । उनको वह उन रईसों से बहुत ऊँचे दर्जे का समझते हैं, जिनको वह बड़े-बड़े खिताब देते हैं। यह दूसरी बात है कि बम फेंकने वालों को उन्हें फाँसी पर चढ़ाना पड़ता है, पर फाँसी पर चढ़ाते दुःख मानते हैं । भगवानदीन जी, यह सुनकर तुम्हें अचरज होगा कि मैं एक ऐसी मेम से मिल चुका हूँ, जिनके पति को एक बम फेंकनेवाले ने खत्म किया था । वह भी यह कह बैठी कि इतनी छोटी उम्र के लड़के जब देश की खातिर हथेली पर जान लिए फिरते हैं, तब हम लोगों का हिन्दुस्तान में रहना मुश्किल है । उसी का कहना था कि हम अंग्रेज, लोगों को खिताब दे देकर गुलामी की याद भुलाए रखना चाहते हैं, पर ये दीवाने तो कुछ चाहते ही नहीं 136
जुगमन्दरलाल जैन ने अंग्रेजों के बीच रहकर भी भारतीय संस्कृति का प्रचार किया । जीवन के अंतिम समय में उन्होंने एक लाख रुपये की राशि से एक ट्रस्ट की स्थापना की, जिसके द्वारा जनहितकारी कार्य किये जाते हैं। श्री जैन के ट्रस्ट की आमदनी से सेन्ट्रल पब्लिशिंग हाऊस दिल्ली, जैन अजिताश्रम लखनऊ, ऋषभ जैन बाल लाइब्रेरी लन्दन, जैन साहित्य मण्डल लन्दन आदि संस्थाओं को निरन्तर आर्थिक सहायता मिलती रही। 13.07.1927 को 46 वर्ष की अल्प आयु में श्री जैन का निधन हो गया 138
बाबू विशालचन्द्र जैन ने सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किये। 1937-1939 तक उत्तर प्रदेश में प्रथम कांग्रेसी मंत्रिमण्डल बना, तो श्री जैन को अवैतनिक विशिष्ट मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया। उसके बाद उन्हें ऑनरेरी प्रथम श्रेणी का स्पेशल मजिस्ट्रेट बनाया गया । इन पदों पर रहते हुए उन्होंने सैंकड़ों दीन-दुखियों की सहायता की । मूक तथा बघिर बच्चों की शिक्षा के लिए स्थापित 'सेवा निधि किदवई अपंग आश्रम' के भी विशालचन्द्र जैन अध्यक्ष रहे। उनके पुत्र विनोद कुमार जैन (आई.पी.एस.) स्वतंत्रता के बाद उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक भी रहे । *"
सहारनपुर की श्रीमती चन्द्रवती जैन जिले की प्रथम महिला थी, जिन्हें 18 मई सन् 1943 को अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन के 30वें अधिवेशन में सुप्रसिद्ध विद्वान पं. माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा प्रतिष्ठित ' सेकसरिया पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था । यह पुरस्कार उन्हें उनकी कृति 'नींव की ईंट' नामक कहानी संग्रह के लिए दिया गया था । इस कृति में सामाजिक जीवन पर आधारित चौदह कहानियाँ संकलित हैं । श्रीमती चन्द्रवती जैन दिल्ली के डॉ. सर मोतीसागर जैन की पुत्री थी । मोतीसागर जैन दिल्ली और लाहौर के प्रसिद्ध वकील थे । वे काफी समय लाहौर हाइकोर्ट के न्यायाधीश तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर भी आसीन रहे । चन्द्रवती जैन का विवाह सहारनपुर के प्रसिद्ध बैंकर ऋषभसैन जैन के साथ हुआ था। सहारनपुर में रहकर चन्द्रवती जैन ने कई सामाजिक कार्यों में
उत्तरप्रदेश के जैन समाज... :: 31